खाना बनाने के बर्तनों से भी आ सकती है बीमारियां,Teflon Flu के मामले बढ़े,जानें इसके बारे में
Teflon Flu : आधुनिकता के इस दौर में इंसान बेहद सुविधाभोगी हो गया है. पहले के जमाने में महिलाएं पूरा दिन खाना बनाने में लगी रहती थी लेकिन आजकल आधे-एक घंटे में ही 4-5 लोगों का खाना बन जाता है.
Teflon Flu : आधुनिकता के इस दौर में इंसान बेहद सुविधाभोगी हो गया है. पहले के जमाने में महिलाएं पूरा दिन खाना बनाने में लगी रहती थी लेकिन आजकल आधे-एक घंटे में ही 4-5 लोगों का खाना बन जाता है. किचन का हर चीज आधुनिक हो गई है. फ्रीज, ओवन, इलेक्ट्रिक चूल्हा, कुकर से लेकर नॉन स्टिक पैन तक. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी इनमें से अधिकांश चीजें नुकसान पहुंचाती है. हाल ही में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन ने अपने गाइटलाइंस में नॉन-स्टिक बर्तन में खाना न बनाने की सलाह दी थी. अब अमेरिका में इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है. अमेरिका में अब तक 267 लोगों को टेफ्लॉन फ्लू के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है. टेफ्लॉन फ्लू तब होता है जब नॉन स्टिक पैन को गर्म करने से उसमें से जहरीला धुआं निकलता है.
टेफ्लॉन फ्लू के कारण
डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक टेफ्लॉन फ्यूम को पॉलीमर फ्यूम फीवर कहा जाता है. इस बीमारी में सिरदर्द, बदन दर्द, बुखार और ठंड से कंपकंपी होने लगती है. एक्सपर्ट का मानना है कि अगर नॉनस्टिक बर्तन से सही तरीके से खाना नहीं बनाया जाए तो इससे टेफ्लॉन फ्लू हो सकता है. ऐसा तब होता है जब नॉनस्टिक बर्तन जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाता है. जब यह ज्यादा गर्म होने लगता है तब इसके कोटिंग से केमिकल रिसने लगता है. इस केमिकल के कारण यह बीमारी होती है. यह केमिकल केमिकल के एयर में मिल जाता है और वहां मौजूद लोगों के फेफेड़े में पहुंच जाता है. इससे फ्लू की तरह बीमारी लग जाती है जिसे पॉलीमर फ्यूम फीवर कहा जाता है.
टूटता ही नहीं यह केमिकल
दरअसल, नॉन स्टिक बर्तनों में फॉरएवर केमिकल PFASहोता है. इस केमिकल को पूरी तरह से खत्म होने में सैकड़ो साल लग जाता है. यह केमिकल जब शरीर में घुसता है तो न तो इसका पाचन होता है और न ही यह टूट पाता है. इससे लंग्स को बहुत अधिक परेशानी होती है. वैज्ञानिक अभी तक यह समझ नहीं पाए हैं कि इस केमिकल के अणु टूटते क्यों नहीं है. टेफ्लॉन फ्लू के लक्षण केमिकल के लंग्स में पहुंचते ही या कुछ समय के बाद दिखने शुरू हो जाते हैं.
क्या होता है टेफ्लॉन
टेफ्लॉन सिंथेटिक केमिकल है जो कार्बन और फ्लोरिन के अणु के जुड़ने से बनता है. इसे पोलीटेटराफ्लूरोइथीलिन कहते हैं. यह नॉन-रिएक्टिव होता है और इसकी सतक घर्षण रहित होती है. इसलिए नॉन-स्टिक पैन में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
कैसे फैलाती है बीमारी
पोलीटेटराफ्लूरोइथीलिन या टेफ्लॉन केमिकल कभी खत्म ही नहीं होता. हालांकि नॉनस्टिक पैन को जब 260 डिग्री तक गर्म किया जाए तो इससे केमिकल नहीं निकलता लेकिन जब इससे ज्यादा गर्म होता है तो पैन रिसने लगता है और इससे धुआं निकलने लगता है. इसमें ऑक्सीडाइज्ड फ्लूरोनेटेड सब्सटांस निकलने लगता है. यह जब लंग्स में चला जाए तो बहुत हानिकरक असर पड़ता है.
टेफ्लॉन फीवर के लक्षण
जब किसी को टेफ्लॉन फीवर होता है तो इसमें बुखार, ठंडी, सर्दी-खांसी, छाती में भारीपन, सांस लेने में तकलीफ, सिर दर्द, चक्कर, थकान, मतली और उल्टी जैसी शिकायतें होने लगती है. इसके अलावा मसल्स में दर्द और ज्वाइंट पेन होने लगता है.(एजेंसी)