विनेश फोगाट ने लिया संन्यास, लिखा- मां कुश्ती मुझसे जीत गई मैं हार गई, मामले में मिले मुफ्त 4 वकील, 24 घंटे में मेडल पर फैसला
Vinesh Phogat retired wrote - Mother wrestling won from me I lost got 4 free lawyers in the case decision on medal in 24 hours
रेसलर विनेश फोगाट को मेडल मिल सकता है या नहीं, इस मामले में एक और बड़ा अपडेट सामने आया है. विनेश के मामले में CAS (Court of Arbitration for Sports) के 4 वकील उनका पक्ष रखेंगे. 24 घंटे के अंदर विनेश के मेडल पर फैसला आ सकता है. वहीं, विनेश ने आज (8 अगस्त) को बेहद दुखी मन से कुश्ती से संन्यास लेने का फैसला किया.
मां और देशवासियों से माफी मांगी
विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'मां कुश्ती मेरे से जीत गई मैं हार गई माफ करना आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके. इससे ज्यादा ताकत नहीं रही अब. अलविदा कुश्ती 2001-2024. उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि आप सबकी हमेशा ऋणी रहूंगी.'
बॉलीवुड एक्टर धर्मेंद्र ने अपने पोस्ट में लिखा है. प्यारी बेटी विनेश, खबर सुनकर हम बहुत दुखी हैं. तुम इस मिट्टी की एक बहादुर और एडवेंचरस बच्ची हो. हम तुम्हें प्यार करते हैं और तुम्हारे स्वास्थ्य और खुशी की प्रार्थना करते हैं. अपने परिवार और जो लोग प्यार करते हैं. उनके लिए खुश, स्वस्थ और मजबूत रहो.
जोएल मोनलुइस, एस्टेले इवानोवा, हैबिन एस्टेले किम और चार्ल्स एमसन CAS (Court of Arbitration for Sports) सुनवाई में विनेश फोगाट का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील होंगे. वे पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए पेरिस बार के साथ निःशुल्क वकील हैं.
विनेश ने बुधवार को CAS में ओलंपिक फाइनल से खुद को अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ अपील की और मांग की कि उन्हें संयुक्त रजत पदक दिया जाए. ओलंपिक खेलों या उद्घाटन समारोह से पहले 10 दिनों की अवधि के दौरान उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद के समाधान के लिए यहां खेल पंचाट का तदर्थ विभाग (Court of Arbitration for Sports- CAS) स्थापित किया गया है जो अगले कुछ घंटों में उनकी अपील पर सुनवाई करेगा.
सेमीफाइनल में विनेश से हारने वाली क्यूबा की पहलवान युसनेलिस गुजमैन लोपेज ने फाइनल में भारतीय खिलाड़ी की जगह ली. जहां वह अमेरिका की सारा एन हिल्डेब्रांट से हार गई. विनेश अब लोपेज के साथ संयुक्त रजत पदक विजेता बनने के लिए CAS पर भरोसा कर रही हैं.
कुश्ती की अंतरराष्ट्रीय संचालन संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने हालांकि साफ कर दिया कि वजन से जुड़े वर्तमान नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. UWW ने अपने अध्यक्ष नेनाद लालोविच के भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की प्रमुख पीटी उषा से मुलाकात के बाद बुधवार देर रात जारी बयान में कहा- IOA हमने सुझाव दिया किसी दिन खिलाड़ी के वजन की जरुरत को पूरा किया जाता है. उस दिन के पहलवान के परिणाम को अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए. UWW ने आगे कहा- UWW भी उचित मंच पर इस सुझाव पर चर्चा करेगा लेकिन यह पूर्व के नियमों पर लागू नहीं किया जा सकता.
ओलंपिक में भारत की उम्मीदों को तब झटका लगा जब विनेश फोगाट को डिसक्वालिफाई (अयोग्य) घोषित किया गया है. 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल रेसलिंग कैटगरी में उनका वजन करीब 100 ग्राम अधिक पाया गया था. विनेश के पास गोल्ड मेडल जीतने का मौका था, लेकिन वजन अधिक होने के कारण फाइनल मुकाबले से कुछ घंटे पहले ही उन्हें अयोग्य करार दे दिया गया. ऐसे में नियम के कारण वह सेमीफाइनल जीतने के बाद भी मेडल से चूक गईं.
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विनेश फोगाट को मिलेगा सिल्वर मेडल विजेता वाला सम्मान
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने ऐलान किया है कि विनेश फोगाट को हरियाणा सरकार ओलंपिक में सिल्बर मेडल विजेता का ईनाम, सम्मान और अन्य सुविधाएं देगी. पेरिस ओलंपिक में महिलाओं की 50 किलो वर्ग की रेसलिंग में फाइनल मैच से पहले वजन ज्यादा पाए जाने की वजह से विनेश को ओलंपिक से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
मोहन सेनापति ने यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग को पत्र लिखकर नियमों में संशोधन करने किया अनुरोध
कांकेर : सरस्वती कला मंच के अध्यक्ष एवं खेल प्रेमी मोहन सेनापति ने ओलंपिक की कुश्ती चैंपियन विनेश फोगाट के अयोग्य घोषित कर कुश्ती के फाइनल के पहुंचने के बावजूद ओलंपिक के कुश्ती के रेस से बाहर कर देना दुर्भाग्यपूर्ण है.
मोहन सेनापति ने यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग से पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि U.W.W. अपने नियमों में कुछ संशोधन कर एक महिला के साथ होने वाले अन्याय को रोके. क्योंकि विनेश फोगाट ने दो-तीन कुश्ती लगातार जीतने के बाद शरीर के एनर्जी के लिए डाइट लिया और वजन बढ़ने पर बिना भोजन, पानी के कंट्रोल करने की भी कोशिश की. लेकिन दुर्भाग्यवश सिर्फ 100 ग्राम यानी 1/10 किलो वजन बढ़ा हुआ था. जिसकी वजह से उन्हें ओलंपिक कुश्ती से उन्हें अयोग्य ठहराया गया. अगर वे डोपिंग टेस्ट में दोषी पाई जाती तो उन्हे सजा देना वाजिब था. लेकिन सिर्फ 100 ग्राम वजन बढ़ने की वजह से फाइनल पहुंचने के बाद बाहर करना बहुत बड़ा अन्याय है. उन्हे फाइनल में मौका न देकर द्वितीय मानकर सिल्वर मेडल से नवाजा जाना चाहिए था. लेकिन बाहर कर उन्हे सन्यास लेने पर मजबूर किया गया. ये देश के साथ पूरे विश्व के खेल प्रेमियों के साथ दुर्भाग्यपूर्ण आचरण है।.इसलिए नियमों में कुछ संशोधन करने की जरुरत है ताकि भविष्य में कोई महिला खिलाड़ी मजबूर होकर उसे सन्यास न लेना पड़े.
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