एक बार फिर बाघ की दहाड़, घने जंगल में बिखरे मिले दो भैंसों के शव और गहरे पंजे के निशान, इलाके में दहशत का माहौल, किसने किया शिकार?

Once again the roar of the tiger, the carcasses of two buffaloes found scattered in the dense forest and deep claw marks, an atmosphere of terror in the area, who did the hunting?

एक बार फिर बाघ की दहाड़, घने जंगल में बिखरे मिले दो भैंसों के शव और गहरे पंजे के निशान, इलाके में दहशत का माहौल, किसने किया शिकार?

गरियाबंद : उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के कुल्हाड़ीघाट परिक्षेत्र के घने जंगलों में एक बार फिर बाघ की मौजूदगी ने हलचल मचा दी है. बुधवार को ग्राम देवलाल सोरी द्वारा पेट्रोलिंग टीम को दी गई खबर के बाद वन विभाग हरकत में आया. उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व के इबफरजोन एरिया कुल्हाड़ीघाट परिक्षेत्र में ढाई साल की चुप्पी के बाद एक बार फिर जंगल में बाघ की दहाड़ सुनाई दी है.
मिली जानकारी के मुताबिक 24 अप्रेल को कुल्हाड़ीघाट परिक्षेत्र के जंगल में चिरोंजी बीनने गये ग्रामीण देवलाल सोरी द्वारा पेट्रोलिंग श्रमिको और बीट गार्ड को बाघ के पद चिन्हों एवं 2 मैंसों को शिकार के बारे खबर दी. इस घटना से पहले 23 अप्रैल को भी सरपंच पति राम सिंह ने बाघ के पदचिह्नों की जानकारी दी थी.
खबर मिलते ही वन विभाग की एंटी-पोचिंग टीम और पेट्रोलिंग कर्मियों ने घटनास्थल पर पहुंचकर पूरे इलाके का मुआयना किया. जांच में 100 मीटर के फासले पर दो भैंसों के शव मिले. जिनके शरीर पर बाघ के हमले के साफ निशान थे. मौके पर दो अलग-अलग आकार के पगचिह्न पाए गए. जिन्हें प्लास्टर ऑफ पेरिस से मोल्ड कर सुरक्षित किया गया है. यह इशारा दे रहे हैं कि क्षेत्र में शयद दो बाघ सक्रिय हैं.
डीएनए जांच से होगी पुष्टि
वन विभाग की टीम ने बाघ के मल की खोज भी शुरु कर दी है ताकि डीएनए नमूना इकठ्ठा कर देहरादून स्थित टाइगर सेल को भेजा जा सके. इससे बाघ की पहचान और विचरण क्षेत्र की सही जानकारी मिल सकेगी.
ग्रामीणों को किया जा रहा सतर्क:
तेंदूपत्ता संग्रहण के मौसमी दौर और बाघ की सक्रियता को देखते हुए आसपास के गांवों में मुनादी कराई जा रही है. लोगों से अपील की गई है कि वे अकेले जंगलों में न जाएं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग को दें.
कैमरा ट्रैप और निगरानी तेज
वन विभाग ने क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी है और कैमरा ट्रैप लगाए जा रहे हैं. ताकि बाघों की मूवमेंट और स्ट्राइप पैटर्न का विश्लेषण किया जा सके. इससे भविष्य में बाघों की तादाद और व्यवहार पर वैज्ञानिक अध्ययन में मदद मिलेगी.
टाइगर की वापसी या खतरे की घंटी?
उदंती सीतानदी में अंतिम बार बाघ की पुष्टि अक्टूबर 2022 में हुई थी. जब एक बाघ कैमरा ट्रैप में कैद हुआ था. इसके बाद दिसंबर 2022 में मल सैंपल मिला था. अब एक बार फिर जंगल में बाघ की मौजूदगी दर्ज होना न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से अहम है. बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और सतर्कता का भी विषय बन गया है.
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