US Space Agency : NASA की एक गलती की वजह से वॉयजर-2 स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टुटा...
US Space Agency : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA की एक गलती की वजह से वॉयजर-2 स्पेसक्राफ्ट से उसका संपर्क टूट गया है। यह स्पेसक्राफ्ट अभी धरती से 19.9 अरब किलोमीटर दूर है।
US Space Agency : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA की एक गलती की वजह से वॉयजर-2 स्पेसक्राफ्ट से उसका संपर्क टूट गया है। यह स्पेसक्राफ्ट अभी धरती से 19.9 अरब किलोमीटर दूर है। NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी ने इसकी जानकारी दी है। घटना पिछले हफ्ते की है, जब NASA की दी गई एक कमांड से स्पेसक्राफ्ट का एंटीना 2% शिफ्ट हो गया। इससे वॉयजर-2 का NASA से संपर्क टूट गया है।
US Space Agency : संपर्क नहीं हो पाने से वॉयजर-2 अंतरिक्ष की जो जानकारी डीप स्पेस नेटवर्क यानी DSN तक भेजता था, वो अब नहीं मिल पा रही है। NASA ने बताया है कि वो अब ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में लगे अपने सबसे बड़े एंटीना से वॉयजर-2 की तलाश कर रहा है। इस वक्त वॉयजर-2 की जो लोकेशन है, वहां तक पृथ्वी से एक सिग्नल पहुंचाने में 18 से ज्यादा घंटे लगते हैं।
स्पेस में दूर तक जाने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट है वॉयजर-2
US Space Agency : वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अगले हफ्ते कैनबरा के स्टेशन से वॉयजर-2 तक सही कमांड के साथ सिग्नल भेजा जाएगा। अगर इससे बात नहीं बनी तो NASA को वॉयजर-2 से संपर्क करने के लिए उसके पूरे सिस्टम को ही रिसेट करना पड़ेगा।
US Space Agency : ये प्रोसेस अक्टूबर में होगी। दरअसल, वॉयजर-2 के एंटीना को पृथ्वी की ओर रखने के लिए उसे साल में एक तय तारीख पर कई बार रिसेट किया जाता है। अगली तारीख 15 अक्टूबर है। फिलहाल वॉयजर-2 की तलाश के लिए NASA स्पेस से आने वाली आवाजों के सहारे है।
वॉयजर-2 को पहले और वॉयजर-1 को बाद में लॉन्च किया गया
US Space Agency : वॉयजर-2 सोलर सिस्टम के बाहर अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों की खोज के लिए भेजा गया पहला एयरक्राफ्ट है। इसे 20 अगस्त 1977 को लॉन्च किया गया था। इस स्पेसक्राफ्ट ने अब तक बृहस्पति, शनि, नेपच्यून और यूरेनस ग्रह की भी नजदीक से स्टडी की है। वॉयजर-1 को इसके बाद 5 सितंबर 1977 को लॉन्च किया गया था।
पृथ्वी से 24 अरब किलोमीटर दूर है वॉयजर-1
US Space Agency : NASA ने वॉयजर-2 के बाद अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों की खोज के लिए वॉयजर-1 को लॉन्च किया था। ये अब भी NASA के संपर्क में है। ये फिलहाल पृथ्वी से 24 अरब किलोमीटर की दूरी पर है। यह दूरी इतनी है कि पृथ्वी और वॉयजर से एक मैसेज आने और उसे वापस वॉयजर को भेजने में 48 घंटे का समय लग जाता है।
वॉयजर-1 ने 2012 में हमारे सौर मंडल को छोड़ दिया था और इंटरस्टेलर स्पेस में पहुंच गया था। वहीं, वॉयजर-2 2018 में सौर मंडल पार कर इंटरस्टेलर स्पेस में पहुंच पाया था। सोलर सिस्टम के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति की स्टडी के लिए लॉन्च होने वाला मिशन आखिरी मिनट पर टल गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक 'जूस' नाम के इस मिशन को खराब मौसम की वजह से टाला गया है। भारतीय समय अनुसार इसे 5 बजकर 44 मिनट पर साउथ अमेरिका के फ्रेंच गुयाना से टेक ऑफ करना था।