चुनाव हारने के बाद वन मंत्री रामनिवास रावत ने दिया इस्तीफा, वायनाड में प्रियंका की धमाकेदार जीत, 28 साल से सोलंकी परिवार का जलवा बरकरार

Forest Minister Ramniwas Rawat resigned after losing the election Priyanka resounding victory in Wayanad Solanki family influence continues for 28 years

चुनाव हारने के बाद वन मंत्री रामनिवास रावत ने दिया इस्तीफा, वायनाड में प्रियंका की धमाकेदार जीत, 28 साल से सोलंकी परिवार का जलवा बरकरार

चुनाव में हारने के बाद वन मंत्री रामनिवास रावत ने दिया इस्तीफा

भोपाल : उपचुनाव हारने के बाद रामनिवास रावत ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को मंत्री पद से इस्तीफा भेज दिया है. रामनिवास रावत मध्य प्रदेश सरकार में वन और पर्यावरण मंत्री थे.
इस हार के बाद रामनिवास रावत ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने रिकाउंटिंग कराने की मांग की है. इसके लिए आवदेन देने जा रहे हैं.
मध्य प्रदेश के विजयपुर उपचुनाव के नतीजे स्थानीय उम्मीदवार के साथ-साथ राज्य की व्यापक राजनीतिक कहानी के लिए भी एक अहम मोड़ साबित हुआ है. वन और पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत जो कांग्रेस से बीजेपी (BJP) में शामिल हुए थे. की हार इस संदर्भ में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है. कांग्रेस के उम्मीदवार मुकेश मल्होत्रा से मिली 7,000 से ज्यादा वोटों से हार ने चंबल की अस्थिर राजनीतिक हालात को उजागर किया है.
रामनिवास रावत के लिए यह हार सिर्फ एक चुनावी हार नहीं है. बल्कि उनकी राजनीतिक साख और मंत्री पद पर भी संकट खड़ा करती है. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने और विजयपुर में पार्टी की हालत मजबूत करने के वादे के साथ आए रावत की इस सीट पर जीतने में विफलता ने उनकी उपयोगिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
बीजेपी की कांग्रेस के इस पारंपरिक गढ़ में पकड़ बनाने के लिए रावत को शामिल करने की रणनीति विफल साबित हुई है. रावत की पाला बदलने और मंत्री बनने के बावजूद बीजेपी यहां जीत दर्ज नहीं कर सकी. जो पार्टी की रणनीति और जमीनी सच्चाइयों के बीच संभावित डिस्कनेक्ट को दर्शाता है. इस हार से भाजपा के उन दिग्गज नेताओं की साख को भी झटका लगा है, जो वहां डेरा जमाए हुए थे.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जुलाई के बाद से विजयपुर के खूब दौरा किया. जो साबित करता है कि बीजेपी इस उपचुनाव को कितनी अहमियत दे रही थी. मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत भागीदारी और संसाधनों की तैनाती के बावजूद हार बीजेपी के लिए एक झटका है. कांग्रेस, खासकर विपक्ष इस परिणाम का इस्तेमाल मुख्यमंत्री की राजनीतिक समझदारी और चुनावी परिणाम देने की क्षमता पर सवाल उठाने के लिए करेगी.
कांग्रेस के लिए विजयपुर में जीत एक मनोबल बढ़ाने वाली घटना है और इसकी जमीनी रणनीति की पुष्टि करती है. पार्टी ने इस उपचुनाव को अपनी परंपरागत वोटरों की निष्ठा की परीक्षा के रूप में पेश किया, और यह रणनीति सफल रही. प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साहस और समर्पण को स्वीकार करना पार्टी के अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को संगठित करने के प्रयास को दर्शाता है.
कांग्रेस ने न सिर्फ सही उम्मीदवार चुना. बल्कि जमीन पर भी प्रभावी ढंग से काम किया. कांग्रेस नेता नीटू सिकरवार उपचुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही विजयपुर में सक्रिय हो गए थे. यहीं नहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी विजयपुर में फोकस किया. वह विजयपुर में लगातार रैली, जनसंपर्क और जनसभाओं में शामिल हुए. कांग्रेस के मैनेजमेंट और टीम वर्क के जरिए कांग्रेस ने मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री को हराकर जीत हासिल की. रावत के पार्टी बदलने से उनके समर्थकों और जनता ने इसे पसंद नहीं किया. यह भी हार का बड़ा कारण रहा.
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वायनाड में प्रियंका की धमाकेदार जीत, संसद पहुंचने वाली गांधी फैमिली की 10वीं सदस्य

प्रियंका से पहले गांधी परिवार से जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, मेनका गांधी, वरुण गांधी और राहुल गांधी राजनीति में एंट्री कर चुके हैं. प्रियंका गांधी लोकसभा सांसद चुने जाने वाली गांधी परिवार की चौथी महिला सदस्य हैं. उनसे पहले इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी और मेनका गांधी लोकसभा सांसद रह चुकी हैं.
वायनाड संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने धमाकेदार जीत दर्ज करने के साथ अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत की है. उन्होंने सीपीआई के सत्यन मोकेरी को 4 लाख, 10 हजार से ज्यादा वोटों के फर्क से हराया. यह प्रियंका गांधी के सियासी करियर का पहला चुनाव था.
राहुल गांधी ने 2019 में वायनाड सीट पर 4,31,770 वोट और 2024 में 3,64,422 वोट के अंतर से जीत दर्ज की थी. उन्होंने 2024 के आम चुनावों में वायनाड और रायबरेली दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी. राहुल गांधी ने इस साल की शुरुआत में वायनाड सीट खाली कर दी थी. क्योंकि उन्होंने रायबरेली से सांसद बने रहने का फैसला किया था. प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी राजनीति में एंट्री करने वाली नेहरु-गांधी परिवार की 10वीं सदस्य हैं.
प्रियंका से पहले गांधी परिवार से जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, मेनका गांधी, वरुण गांधी और राहुल गांधी राजनीति में एंट्री कर चुके हैं. प्रियंका गांधी अब अपनी राजनीति देश के दक्षिणी हिस्से से शुरु करेंगी. वह अपनी दादी और देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, मां सोनिया गांधी और चाची मेनका गांधी के बाद चौथी महिला सदस्य हैं जो लोकसभा सांसद चुनी गई हैं.
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28 साल से सोलंकी परिवार का जलवा बरकरार, बहू नसीम सोलंकी ने मारी बाजी

कानपुर : उत्तर प्रदेश के कानपुर की सीसामऊ सीट पर प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर रही. कई बार सपा आगे हुई तो कई बार बीजेपी. आखिरकार में जीत सपा की नसीम सोलंकी के खाते में आई. नसीम सोलंकी को 8629 वोटों से जीत मिली है. नसीम सोलंकी सपा नेता इरफान सोलंकी की पत्नी हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां कई बार प्रचार किया था. बावजूद इसके सपा ने न सिर्फ मुस्लिम क्षेत्रों में, बल्कि हिंदू बहुल इलाकों में भी अच्छा प्रदर्शन किया सीसामऊ सीट पर सपा की 28 साल की विरासत कायम रही. यह जीत न केवल नसीम सोलंकी की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह दर्शाती है कि सोलंकी परिवार का प्रभाव अब भी क्षेत्र की जनता के दिलों पर बना हुआ है.
नसीम ने कहा कि वह अपने पति और पूर्व विधायक इरफान सोलंकी के अधूरे कार्यों को पूरा करेंगी और क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने के लिए पूरी लगन से काम करेंगी. उनकी इस जीत ने सपा को मजबूती प्रदान की है और भाजपा के लिए एक बड़ा सबक भी छोड़ दिया है.
कानपुर की सीसामऊ सीट पर समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने जीत दर्ज कर ली है. यह सीट सपा का गढ़ मानी जाती है. यहां से नसीम सोलंकी के पति इरफान सोलंकी ही विधायक थे. इरफान को सजा होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी. उसके बाद सीसामऊ सीट पर उपचुनाव हुए. अखिलेश यादव ने इस सीट पर इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी और बीजेपी ने सुरेश अवस्थी को टिकट दिया था.
नसीम सोलंकी ने अपने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपने पति इरफान सोलंकी को जेल में जबरन डालने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इरफान को फंसाया गया ताकि वो चुनाव न लड़ सकें और अपने लोगों के काम न करवा सकें. इसको लेकर वो लगातार जनता के बीच गईं और इसे आम जनता के बीच बड़ा मुद्दा बनाया. 
नसीम सोलंकी के प्रचार के लिए सपा महासचिव शिवपाल यादव और सांसद डिंपल यादव ने मोर्चा संभाला था. जहां शिवपाल लगातार जनसभाएं कर रहे थे. वहीं डिंपल ने उनके लिए रोड शो किया था. एक बार जब मंच पर शिवपाल के साथ नसीम सोलंकी मौजूद थीं तो जनता को संबोधित करते हुए वो भावुक हो गई. उन्होंने रोते हुए जनता से कहा कि बस एक बार विधायक जी को छुड़वा दो. हम थक गए हैं. यह आखिरी लड़ाई होगी. इंशाल्लाह. इसके बाद शिवपाल ने कहा कि यह ऐसा समय है जब भारतीय जनता पार्टी ने पूरे उत्तर प्रदेश की मां-बेटियों के साथ रुलाने का काम किया है. जब से भाजपा सत्ता में आई तब से सभी वर्ग, जाति-धर्म के लोगों को परेशान करने का काम किया है. शिवपाल के सामने मंच पर भावुक हो गई. नसीम सोलंकी को जनता ने भी दिल खोलकर अपना समर्थन दिया.
विपरीत परिस्थितियों के बाद भी सपा के मजबूत गढ़ में सहानुभूति लहर के साथ नसीम सोलंकी ने पहले ही प्रयास में वोटों के प्रतिशत के मामले में अपने पति इरफान सोलंकी को भी पीछे छोड़ दिया. परिसीमन के बाद से सपा यहां से लगातार चार बार जीत चुकी है और इसमें इस बार सबसे ज्यादा 52.36 प्रतिशत वोट सपा की झोली में आए हैं.
इससे पहले 2022 के पिछले चुनाव में इरफान सोलंकी ने सबसे ज्यादा 50.68 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. वोटों के जबरदस्त ध्रुवीकरण के चलते भाजपा ने भी इस सीट पर वोट प्रतिशत तो सुधार कर 45.93 प्रतिशत कर लिया. लेकिन दोनों ही दलों के वोटों की तादाद जरुर गिर गई.
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