रिश्वत की साजिश की खबरों के बाद केन्या ने अडानी समूह के साथ रद्द की एयरपोर्ट और एनर्जी डील, श्रीलंका, बांग्लादेश और इजराइल में भी विरोध की लहर

After the news of bribery conspiracy Kenya canceled airport and energy deal with Adani Group wave of protest in Sri Lanka Bangladesh and Israel also

रिश्वत की साजिश की खबरों के बाद केन्या ने अडानी समूह के साथ रद्द की एयरपोर्ट और एनर्जी डील, श्रीलंका, बांग्लादेश और इजराइल में भी विरोध की लहर

बुधवार को अमेरिकी अभियोजकों ने भारतीय अरबपति और अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी पर 250 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी योजना को आगे बढ़ाने में मदद करने का आरोप लगाया. संघीय अभियोजकों ने आरोप लगाया कि गौतम अडानी और अन्य प्रतिवादियों ने सौर ऊर्जा अनुबंध जीतने के लिए भारत में सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से ज्यादा का भुगतान करने का वादा किया और अमेरिकी निवेशकों से धन जुटाने की कोशिश करते हुए योजना को छुपाया.
केन्या सरकार ने अडानी समूह के साथ कई मिलियन डॉलर के हवाई अड्डे के विस्तार और ऊर्जा सौदे को रद्द कर दिया है. यह कदम भारतीय व्यवसायी गौतम अडानी के खिलाफ कथित रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों के बीच उठाया गया है.
केन्याई राष्ट्रपति विलियम रुटो ने साफ कहा कि यह फैसला जांच एजेंसियों और साझेदार देशों द्वारा उपलब्ध कराई गई नई जानकारी के आधार पर लिया गया है. ऊर्जा मंत्री ओपियो वांडायी ने गुरुवार को संसदीय समिति को बताया कि समझौते पर दस्तखत करने में केन्या की तरफ से कोई रिश्वतखोरी या भ्रष्टाचार शामिल नहीं था.
अडानी समूह एक समझौते पर दस्तखत करने वाला था. जिसके तहत राजधानी नैरोबी में केन्या के मुख्य हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण किया जाएगा. जिसमें एक एक्स्ट्रा रनवे और टर्मिनल का निर्माण किया जाएगा. बदले में समूह 30 साल तक हवाई अड्डे का संचालन करेगा. अडानी समूह को पूर्वी अफ्रीका के व्यापारिक केंद्र केन्या में बिजली पारेषण लाइनों के निर्माण का सौदा भी मिला था.
बता दें कि अमेरिका ने गौतम अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है. अमेरिका में न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में सुनवाई के दौरान गौतम अडानी की कंपनी पर US में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने और एक सोलर एनर्जी कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को मोटी रिश्वत की पेशकश करने का आरोप लगा है.
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अडानी को लेकर श्रीलंका में राजनीतिक बवाल

श्रीलंका की नवनिर्वाचित वामपंथी सरकार ने राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व में भारत के दक्षिण में स्थित इस द्वीप राष्ट्र में पिछली सरकार द्वारा अडानी समूह को दी गई 44 करोड़ डॉलर की पवन ऊर्जा परियोजना पर पुनर्विचार करने का फैसला किया है.
श्रीलंका में अडानी समूह की यात्रा कोलंबो बंदरगाह के एक महत्वपूर्ण हिस्से को विकसित करने के साथ शुरु हुई थी, जो अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है. एक आशाजनक उद्यम के रूप में शुरु हुआ यह काम जल्द ही भारतीय समूह के लिए एक अशांत प्रकरण बन गया. राजनीतिक विवाद और सार्वजनिक विरोध के बाद अंततः योजना में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ.
अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (एपीएसईज़ेड) ने कोलंबो पोर्ट पर ईस्ट कंटेनर टर्मिनल (ईसीटी) के विकास को एक आकर्षक परियोजना के रूप में देखा. क्योंकि इसकी गहरे पानी की बर्थ और बड़े कंटेनर जहाजों को समायोजित करने की क्षमता है. जो इसे भारत के लिए एक रणनीतिक निवेश बनाती है. 2020 में कई दौर की चर्चाओं और वार्ताओं के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली श्रीलंकाई सरकार ने ईसीटी के विकास में भारत (अडानी समूह के माध्यम से) और जापान को शामिल करने के लिए एक समझौता किया. इस सौदे को इस तरह से संरचित किया गया था कि श्रीलंका बंदरगाह प्राधिकरण (एसएलपीए) को 51% स्वामित्व दिया गया. जबकि भारत (अडानी के माध्यम से) और जापान के पास 49% हिस्सेदारी होगी.
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बंगलादेश के साथ ‘भेदभावपूर्ण’ विद्युत अनुबंध

जून 2015 में, मोदी ने बंगलादेश का दौरा किया और उसकी बिजली की जरुरतों को पूरा करने में भारत के समर्थन का वादा किया. दो महीने बाद, अडानी समूह ने बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बीपीडीबी) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत किया इसके परिणामस्वरूप, पूर्वी भारत में झारखंड के गोड्डा में 1600 मेगावाट का कोयला-आधारित बिजली संयंत्र स्थापित किया गया. जो बांग्लादेश को बिजली निर्यात करने के लिए समर्पित था.
दुनिया में गोड्डा जैसी कोई बिजली परियोजना कहीं नहीं है. भारत में कोयले के सबसे ज़्यादा भंडार झारखंड में हैं। फिर भी अडानी का गोड्डा बिजली संयंत्र उस राज्य से कोयले की प्रचुर आपूर्ति का उपयोग नहीं करता है, जहां यह स्थित है. परियोजना द्वारा उपयोग किया जाने वाला कोयला उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के एबॉट पॉइंट बंदरगाह से जहाजों के जरिए लगभग 9000 किलोमीटर  दूर ओडिशा के धामरा बंदरगाह तक लाया जाता है. क्वींसलैंड में कोयला खदान और भारत के पूर्वी तट पर बंदरगाह, दोनों पर ही अडानी समूह का नियंत्रण है.
धामरा पहुंचने के बाद, कोयले को पट्टे पर ली गई रेलवे लाइनों के जरिए 600 किलोमीटर दूर गोड्डा ले जाया जाता है. (इस रेलवे लाइन के उन्नयन के कारण विस्थापन का सामना कर रहे आदिवासी लोगों ने इसका विरोध किया था) गोड्डा पावर प्लांट में बिजली पैदा होने के बाद, इसे 100 किलोमीटर से ज्यादा दूर बांग्लादेश के भेरामारा तक पहुंचाया जाता है. जहां से इसे फिर से वितरित किया जाता है.
बांग्लादेश को अडानी प्लांट से बिजली के लिए देश की औसत बिजली लागत से पांच गुना ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा. भले ही प्लांट बिजली का उत्पादन न करे, फिर भी बांग्लादेश को 25 साल की अवधि में इसकी वार्षिक क्षमता और रखरखाव शुल्क के रुप में कुल 45 करोड़ डॉलर का भुगतान करना होगा.
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