अजमेर दरगाह को मंदिर बताने पर भड़के सांसद चंद्रशेखर, बोले- देश को नफरत की आग में झोंकने की तैयारी, गहलोत- सभी की आस्था का केंद्र
MP Chandrashekhar got angry on calling Ajmer Dargah a temple said Preparation to throw the country in the fire of hatred Gehlot center of everyone faith
अजमेर में हजरत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दे दी है. इस पर भीम आर्मी के चीफ और नगीना से सांसद चंद्रशेखर ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
उन्होंने इसे देश को नफरत की आग में झोंकने की एक साजिश बताया. चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अजमेर दरगाह के बहाने अहम मुद्दों से ध्यान भटकाकर देश में नफरत फैलाने की एक नई चाल चली जा रही है.
उन्होंने कहा कि देश में बौद्धिष्ठों का इतिहास रहा है. अगर बौद्ध समुदाय भी कोर्ट चले जाएं और हिन्दू मंदिरों के नीचे सर्वे की मांग करने लगे. तब सरकार क्या करेगी?
उन्होंने 1991 के पूजा स्थल कानून का हवाला देते हुए कहा कि 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में आए किसी भी धार्मिक स्थल का स्वरुप नहीं बदला जा सकता और इन मामलों की कोर्ट में सुनवाई नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुत्व के एजेंडे को पूरा करने के लिए कानून और संविधान की अवहेलना की जा रही है. जबकि कुछ समय पहले तक लोग संविधान की पूजा का दिखावा कर रहे थे.
भीम आर्मी चीफ ने सवाल उठाया कि नफरती ताकतें देश के माहौल को विषाक्त करने से क्यों नहीं चूक रही है. जबकि सिर्फ मुस्लिम समुदाय ही नहीं, बल्कि हिंदू और सिख समाज भी सूफी मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर विश्वास रखते हैं. आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप करे. और 1991 के पूजा स्थल कानून की रक्षा के साथ-साथ इसे लागू करने का आदेश दे. ताकि संभल जैसी शर्मनाक घटनाओं से बचा जा सके.
उन्होंने कहा कि आजाद समाज पार्टी हर संभव मदद के लिए तैयार है और कोर्ट, सड़क या संसद में लड़ाई लड़ेगी. लेकिन संयम और विवेक से काम लेने की अपील की. ताकि नफरत फैलाने वाले योजनाओं को कामयाब न होने दिया जाए.
चंद्रशेखर ने प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी का शेर भी साझा किया. जिसमें उन्होंने बताया कि जो आज सत्ता में हैं. वे कल नहीं रहेंगे.
चंद्रशेखर ने कहा कि हम जो तमाशा कर रहे हैं. इसका कोई अंत है. वक्फ पर जो चिंता है वो इसी बात की है कि जब राज्य का हस्तक्षेप होगा तो इसी तरह के फैसले आएंगे. लोगों में गुस्सा बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि भाजपा ये बताए कि जो वोट की लूट यूपी में हुई है. ईवीएम और अडानी का जो सवाल है उसका सरकार के पास क्या जवाब है? चंद्रशेखर ने कहा कि अजमेर और संभल जैसे मामले भाजपा शासित राज्यों में क्यों हो रहे हैं. इसका खामियाजा देश को उठाना पड़ेगा.
इन मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा. वे इस मुद्दे को न सिर्फ कानूनी बल्कि सामाजिक स्तर पर भी चुनौती देंगे. ताकि देश में असहमति और नफरत का माहौल न बने.
दरगाह की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव, सरवर चिश्ती ने कहा कि ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह आस्था और साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है. यह धार्मिक स्थल ना सिर्फ मुस्लिमों, बल्कि हिंदू और सिख समुदायों के लिए भी सम्मान का विषय है.
गहलोत ने कहा कि अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है. जहां दुनिया भर के लोग चादर चढाने आते हैं. यहां हिंदू भी आते हैं और चादर पेश करते हैं. गहलोत ने कहा कि अब तक जो भी प्रधानमंत्री बने. चाहे वे किसी भी दल का हो. उन सबने अजमेर दरगाह पर चादर चढाई है. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु से लेकर पीएम मोदी जी तक तमाम प्रधानमंत्री की तरफ से दरगाह में चादर चढ़ती रही है. इसके बावजूद भी बीजेपी के लोग कोर्ट में केस भी कर रहे हैं. गहलोत ने कहा कि लोगों में भ्रम पैदा किया जा रहा है जो कि गलत है.
पूर्व सीएम गहलोत ने कहा जब देश आजाद हुआ था तब यह तय हुआ था कि जो धार्मिक स्थान जिस हालत में है. वे उसी हालत में रहेंगे. इस बारे में कानून भी बना हुआ है. अजमेर दरगाह करीब 800 साल पुरानी है. इस पर सवाल उठाना गलत है. इस धार्मिक केंद्र को अदालत में नहीं ले जाना चाहिए था.
एक दिन पहले सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी बयान दिया कि बीजेपी और आरएसएस वाले मस्जिदों और दरगाहों के प्रति नफरत फैला रहे हैं. यह देशहित में नहीं है.
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