छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को चार महीने के भीतर नियमित करने का दिया आदेश
Chhattisgarh High Court's big decision, orders to regularize contract and daily wage employees within four months

बिलासपुर : नियमितीकरण की लंबी लड़ाई लड़ रहे एनआईटी रायपुर के संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को आखिरकार राहत मिली है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में 42 कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने एनआईटी प्रशासन को साफ़ निर्देश दिए हैं कि अगले चार महीने के भीतर इन कर्मचारियों को उनके वर्तमान पद पर ही नियमित किया जाए.
नियमितीकरण की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में जस्टिस एके प्रसाद ने याचिकाकर्ताओं को चार महीने के भीतर नियमित करने का आदेश जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को नौकरी करते एक दशक से भी ज्यादा का समय हो गया है. लिहाजा उन्हें पर्याप्त अनुभव है. जिस पद पर काम कर रहे हैं. उसी पद पर उनको नियमित किया जाए.
याचिकाकर्ता नीलिमा यादव, रश्मि नागपाल व 40 अन्य कर्मचारियों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर हाईकोर्ट के सामने अपने अधिवक्ता अधिवक्ता दीपाली पाण्डेय के जरिए याचिका लगाई थी. याचिका में कहा गया कि वे सभी एनआईटी रायपुर में संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रुप में काम कर रहे हैं. नियुक्ति से पहले विधिवत विज्ञापन जारी किया गया था. लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद संस्थान ने इंटरव्यू लिया और मेरिट के आधार पर नियुक्ति दी गई थी. याचिका के मुताबिक जिस पद पर काम कर रहे हैं शैक्षणिक योग्यता के साथ ही पर्याप्त अनुभव भी रखते हैं और सभी कर्मचारियों को नियमित पद पर काम करते 10 साल से ज्यादा का समय हो गया है. लिहाजा पर्याप्त अनुभव भी उनके पास है.
इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित स्टेट ऑफ कर्नाटक विरुद्ध उमा देवी, स्टेट ऑफ कर्नाटक विरुद्ध एमएल केसरी, विनोद कुमार व अन्य विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया , स्टेट ऑफ ओडिशा विरुद्ध मनोज कुमार प्रधान, श्रीपाल व अन्य विरुद्ध नगर निगम गाजियाबाद आदि आदेशों का न्यायादृष्टांत प्रस्तुत किया गया. एनआईटी के अधिवक्ता ने नियमितीकरण के लिए नियम नहीं होने की बात कही.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को काम करते 10 से 16 साल तक का समय हो चुका है. जो कर्मचारी जिस पद पर पहले से ही काम कर रहे हैं. उसी पद के तहत इन्हें नियमित किया जा सकता है. कोर्ट ने एनआईटी को याचिकाकर्ताओं को चार महीने के भीतर नियमित करने का निर्देश दिया है.
यह फैसला राज्य के हजारों संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए उम्मीद की किरण है. जिनकी नियमितीकरण की मांग लंबे समय से चल रही थी.
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