सुप्रीम कोर्ट ने दी खुशखबरी, सुनाया अहम फैसला, सभी संविदा कर्मचारियों को 6 महीने के अंदर रेगुलर करने का आदेश किया जारी
Supreme Court gave good news, gave an important decision, issued an order to regularize all contract employees within 6 months

सुप्रीम कोर्ट के जरिए लंबे समय से कार्य दैनिक वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश को जारी कर दिया है और इस बारे में काफी बड़ा आदेश पारित किया. सुप्रीम कोर्ट के जरिए सार्वजनिक स्थानों पर जो श्रमिक को दैनिक मजदूरी पर काम करने की जो प्रथा है उसकी कड़ी निंदा की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि इन कर्मचारियों को प्रारंभिक नियुक्तियां अस्थाई होने की वजह से उन्हें रेगुलर करने से नहीं रोका जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लाखों दैनिक वेतन भोगियों और संविदा कर्मचारियों के लिए काफी अच्छी खबर आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक राज्य बनाम उमा देवी के अहम फैसले में स्थापित मिसाल को स्वीकार करते हुए जो दैनिक वेतन भोगी हैं और कर्मचारी हैं. इन्हें संवैधानिक जरुरत और स्वीकृति रिएक्शन के अस्तित्व को पूरा करने के लिए बिना स्थाई रोजगार का दावा नहीं कर सकते हैं. पूरी जानकारियां संविदा कर्मचारियों के नियमित किए जाने को लेकर बताई गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैसले का उपयोग लंबे समय से सेवा करने वाले जितने भी श्रमिक है उनके अधिकारियों से वंचित करने के लिए नहीं किया जा सकता है. जब यह कर्मचारी श्रमिक काम करते हैं तो स्वाभाविक रुप से स्थाई होते हैं.
उमा देवी नियुक्ति द्वारा भर्ती किए बिना सालों से चली आ रही शोषणकारी व्यवस्थाओं को सही ठहराने के लिए दल के रुप में काम नहीं कर सकता है. कोर्ट द्वारा यह भी साफ किया गया कि संविदा दैनिक वेतन भोगियों को उमादेवी फैसले के आधार बनाकर नियमितीकरण नहीं रोका जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्न भी बारले की खंडपीठ के जरिए गाजियाबाद नगर निगम की बागवानी विभाग में मलिक के रुप में काम करें अपील करता हूं कि अपील पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला दिया गया है. कर्मचारी नगर निगम के प्रत्येक देखरेख में लगातार काम कर रहे थे. लेकिन औपचारिक नियुक्त पत्र नियुक्त न्यूनतम मजदूरी वैधानिक लाभ और नौकरी की सुरक्षा से विभाग द्वारा पूरी तरह से इंकार किया गया था. इसके बाद कर्मचारियों ने नियतमतीकरण और वैधानिक लोगों की मांग विभाग से किया. लेकिन विभाग ने 2005 में उनकी सेवाओं को बिना किसी लिखित आदेश के नोटिस दिए खत्म कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट में यह कर्मचारी गए और याचिका दाखिल की सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए जस्टिस नाथ के माध्यम से लिखे गए फैसले में स्वीकार किया कि स्थाई कर्मचारियों को सम्मान कार्य करने के लिए सालों से लगे हुए दैनिक वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों को वेतन और लाभ से वंचित किया गया था.
कोर्ट ने यह भी कहा है कि नगरपालिका का काम 12 महीने चलता है और कर्मचारी लगातार काम करते हैं जो कि विभाग द्वारा रेगुलर न करने और उन्हें किसी भी तरह का लाभ न देने के लिए सिर्फ एक शोषण करने का यह एक जरिया था.
सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से यह अहम फैसला दिया कि नई भर्ती पर प्रतिबंध दैनिक वेतन भोगी श्रमिको पूर्व रेगुलर करने के लाभों से वंचित करने का कोई बहाना नहीं दे सकता है.
कोर्ट ने उमा देवी मामले पर प्रतिवादी की निर्भरता कोई अभी तक करते हुए खारिज किया कि रेगुलर न करने का जो बहाना यह बिल्कुल नहीं हो सकता है. अदालत ने अपने आदेश में पूरी तरह से साफ़ किया उमा देवी का फैसला दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों के नियंत्रण शोषण को उचित नहीं ठहराता है. क्योंकि वह 12 महीने अपना काम और मेहनत ईमानदारी से करते हैं इसलिए 6 महीने के अंदर नियमती करण की प्रक्रिया शुरु करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है.
ताजा खबर से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/CvTzhhITF4mGrrt8ulk6CI