भाजपा की सरकार किसानों के साथ कर रहे खिलवाड़ -कुलदीप साहू, धान खरीदी को लेकर आमने-सामने आए भाजपा और कांग्रेस के नेता
BJP government is playing with farmers Kuldeep Sahu BJP and Congress leaders came face to face regarding paddy purchase
भाजपा की सरकार किसानों के साथ कर रहे खिलवाड़ -कुलदीप साहू
गुरुर (बालोद) : 14 नवंबर से धान खरीदी का शुभारंभ कर दिया गया है. लेकिन किसानों की मुश्किलें अभी से बढ़ने लगी है. धान खरीदी मुश्किल से अभी एक हफ्ता ही हुआ है और अभी से खरीदी केंद्रों में बारदाने की कमी होने की काला बादल छाने लगे हैं.
जनसेवक कुलदीप साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार जब से सत्ता में आई है. तब से पूरा सिस्टम भ्रष्ट हो चुका है. छत्तीसगढ़ राज्य में इन दिनों धान खरीदी केंद्रों में किसानों से धान खरीदी का सिलसिला जारी है. अव्यवस्थाओ का आलम देखने को मिल रहा है. जिसके कारण किसानों को बेवजह ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसान अपने फसल को बीमारी और मौसम की मार से जैसे तैसे बचा तो लेता है. उसके बाद सरकार का इस तरह से किसानों के साथ रवैया अपनाना बेहद ही शर्मनाक और दुखद है. भाजपा सरकार का किसान हितैषी का भरोसा और विश्वास सिर्फ सफेद हाथी साबित हो रहा है.
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है. फिर भी किसानों को मिलने वाली सिस्टम पूरी तरह से चरमरा सी गई है. आज सभी समिति प्रबंधकों की चिंताओं की लकीरें माथे में उभरने लगी है. क्योंकि बारदाने की किल्लत से किसानों को ही नुकसान उठाना पड़ेगा. किसानों का इस बार टोकन कटवाने का सिस्टम पूरी तरह से ऑनलाईन कर दिया गया है और समय पर धान नहीं बिका तो फिर कई दिनों तक अपनी बारी का इंतजार करने के लिए भटकना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी नया आदेश जारी कर किसानों की जेब को खाली करवाने पर तुले हुए हैं. अब बारदाने की व्यवस्था खुद किसानों को करना होगा. 50% बारदाना समिति द्वारा दिया जाएगा. इस तरह से बीच मझधार में फसाकर किसानों को मजबूर करने वाले भाजपा सरकार के खिलाफ किसानों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है.
किसानों द्वारा बारदाना खरीदी कर धान बेचने पर सरकार प्रति बोरी 25 रुपए देने की बात तो कह रहे हैं. लेकिन वहीं कुछ किसानों ने अपनी समस्या जाहिर करते हुए बताया कि दुकानों में बारदाने की कीमत 30 से 40 रूपये मे खरीदना पड़ रहा है. ऐसे में नुकसान किसानों का ही हो रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण मीलरो से मिलने वाला बारदाना समिति को नहीं मिल पाना है.
मार्कफेड और मीलरो के बीच अनुबंध में सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है. पिछले बार प्रति क्विंटल कस्टम मिलिंग का दर 120 रूपये.था. इस बार सीधा आधा मतलब 60 रुपये कर दिया गया है. जिससे भाजपा सरकार की रीति नीति से मिलर नाखुश चल रहे हैं. अगर सरकार किसान और समितियों को होने वाले नुकसान से समय पहले उचित व्यवस्था कर लिया तब तो ठीक है.
अगर समय रहते सरकार इस पर अमल या ठोस कदम नहीं उठाया तो इस बार बारदाने की किल्लत और परिवहन नहीं होने से शार्टेज की जो समस्या आएगी वह समिति प्रबंधकों के लिए गले का फांस बन सकती है और जोखिम भरे चुनौतियों के साथ काफी नुकसान होने की संभावना है. जिसका खामियाजा खुद समिति के सदस्यों को ही उठाना पड़ सकता है.
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धान खरीदी को लेकर आमने-सामने आए भाजपा और कांग्रेस के नेता
मनेन्द्रगढ़ : छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर भाजपा किसानों के हर एक दाने की खरीदी का वादा कर रही है. वहीं कांग्रेस इसे छलावा बताते हुए भाजपा की लगातार आलोचना कर रही है. मनेन्द्रगढ़ के पूर्व विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने किसानों और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर एमसीबी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने सरकार से किसानों के लिए प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी सुनिश्चित करने की मांग की. जायसवाल ने चेतावनी दी कि अगर किसानों की मांग पूरी नहीं हुई. तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.
मनेन्द्रगढ़ के विधायक और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल रतनपुर के धान खरीदी केंद्र पहुंचे. कहा कि सरकार ने फसल उत्पादन के अनुसार धान खरीदी का आदेश जारी किया है और जिन किसानों की उपज ज्यादा है. उनकी फसल 21 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से खरीदी जाएगी.
मनेंद्रगढ़ तहसील में राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की उपज होती है. लेकिन बरबसपुर, नागपुर और अन्य केंद्रों पर किसानों का धान लौटा दिया गया और सिर्फ 15 क्विंटल प्रति एकड़ की खरीदी की गई. जिससे किसानों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है. साथ ही सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े हो गए हैं.
किसानों को टोकन कटवाते समय 21 क्विंटल प्रति एकड़ की अनुमति दी गई थी. लेकिन जब वे धान लेकर उपार्जन केंद्र पहुंचे. तो उन्हें सिर्फ 15 क्विंटल प्रति एकड़ की खरीदी की सूचना दी गई.
किसान महेंद्र लाल ने बताया कि हमने 21 क्विंटल के हिसाब से टोकन कटवाया था. लेकिन केंद्र प्रभारी ने केवल 15 क्विंटल धान खरीदा.
संतोष कुमार पाल ने कहा कि मेरा टोकन 35.60 क्विंटल का था. लेकिन सिर्फ 27 क्विंटल ही लिया गया. तो वहीं किसान हीरावन पाल ने नाराजगी जताते हुए कहा कि 59.60 क्विंटल का टोकन था. लेकिन सिर्फ 36 क्विंटल धान खरीदा गया. बाकी धान हमें घर ले जाना पड़ा. धान लाने-ले जाने के ट्रैक्टर किराए और समय की बर्बादी ने किसानों के नुकसान को और बढ़ा दिया.
धान खरीदी केंद्र के प्रभारी राकेश कुमार साहू ने बताया कि राज्य सरकार ने 21 क्विंटल प्रति एकड़ की सीमा तय की थी. लेकिन कलेक्टर और तहसीलदार के निर्देश पर 15 क्विंटल प्रति एकड़ खरीदी की जा रही है. उन्होंने साफ़ किया कि कोई लिखित आदेश नहीं आया है. लेकिन मौखिक निर्देश के आधार पर यह फैसला लिया गया.
पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों को तहसीलदार और एसडीएम से अनुमति लेकर धान बेचना पड़ रहा है. यह किसानों के साथ धोखा है.
कांग्रेस जिला अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को ठग रही है. 21 क्विंटल प्रति एकड़ का वादा पूरा नहीं हो रहा है और 3100 रुपये प्रति क्विंटल का वादा भी टूट गया.
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