फर्जी दस्तावेजों से बन गई डॉक्टर, हाई कोर्ट ने एडमिशन खारिज करने से इनकार कर दिया...

दिल्ली : एमबीबीएस की पढ़ाई करके एक युवती डॉक्टर बन गई और उसने दस्तावेज गलत दिए थे। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो बेंच ने माना कि उस शख्स ने गलती की थी, लेकिन उसका एमबीबीएस का एडमिशन खारिज करने से इनकार कर दिया।

फर्जी दस्तावेजों से बन गई डॉक्टर, हाई कोर्ट ने एडमिशन खारिज करने से इनकार कर दिया...

दिल्ली : एमबीबीएस की पढ़ाई करके एक युवती डॉक्टर बन गई और उसने दस्तावेज गलत दिए थे। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो बेंच ने माना कि उस शख्स ने गलती की थी, लेकिन उसका एमबीबीएस का एडमिशन खारिज करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि देश में मरीजों के अनुपात में डॉक्टरों की कमी है। इसलिए अब ऐसी युवती का एडमिशन खारिज करना राष्ट्र का नुकसान होगा, जब वह डॉक्टर बन चुकी है। दरअसल आरोप था कि एमबीबीएस पास कर डॉक्टर बनी युवती ने एडमिशन के दौरान ओबीसी-नॉन क्रीमी लेयर का गलत दस्तावेज पेश किया था।  

इसके बाद जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो बेंच ने माना कि उस युवती ने गलती की थी। फिर भी अदालत ने उसकी डिग्री खारिज करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा, 'शख्स ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर ली है। ऐसी स्थिति में उसकी डिग्री वापस लेना ठीक नहीं है। अब वह एक क्वालीफाइड डॉक्टर है। हमारे देश में डॉक्टरों का अनुपात बेहद कम है। अब संबंधित युवती की डिग्री को वापस लेना राष्ट्र का नुकसान होगा। ऐसी स्थिति में जब देश के नागरिकों को ज्यादा डॉक्टरों की जरूरत है।'

जस्टिस ए.एस चंदूरकर और जस्टिस जितेंद्र जैन की बेंच ने संबंधित शख्स का नॉन-क्रीमी लेयर ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द कर दिया। इसके साथ ही एमबीबीएस में उसके एडमिशन को ओपन कैटिगरी में घोषित कर दिया। अदालत ने डॉक्टर बनी युवती को आदेश दिया कि वह अब ओपन कैटिगरी की उम्मीदवार होंगी। इसके साथ ही आदेश दिया कि वह ओपन कैटिगरी के तहत जमा होने वाली फीस दें। अदालत ने 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बेंच ने कहा युवती को बड़ी राहत देते हुए कहा कि हमें पता है कि मेडिकल कोर्स में एडमिशन लेना कितना कठिन है और उस पर कितना अधिक खर्च आता है।

अदालत ने कहा कि इससे कैंडिडेट की ओर से की गलती को खारिज नहीं किया जा सकता। लेकिन उस स्टेज पर आकर उसके एडमिशन को रद्द करना भी देश का नुकसान होगा। दरअसल कैंडिडेट के खिलाफ जांच आयोग गठित किया गया था और उसकी रिपोर्ट में उसके एडमिशन को रद्द करने की सिफारिश हुई थी। इस पर डॉक्टर ने अदालत का रुख किया, जहां से उसे यह राहत मिली है।(एजेंसी)