विनेश फोगाट ने रचा इतिहास, पक्का हुआ भारत का एक और पदक, ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान

Vinesh Phogat created history another medal for India confirmed first Indian female wrestler to reach Olympic final

विनेश फोगाट ने रचा इतिहास, पक्का हुआ भारत का एक और पदक, ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान

विनेश भारत की पहली महिला पहलवान है जो ओलंपिक के किसी वर्ग के फाइनल में पहुंची हैं. पुरुष वर्ग में सुशील कुमार और रवि दाहिया को ओलंपिक फाइनल खेलना का अनुभव है. लेकिन ये दोनों रजत पदक ही जीत पाए थे. ऐसे में विनेश के पास कुश्ती में देश का पहला स्वर्ण पदक विजेता बनने का मौका होगा. विनेश रियो और टोक्यो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थीं.
विनेश फोगाट ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गईं. उन्होंने क्यूबा की गुजमान लोपेज को 5-0 से हराकर पेरिस ओलंपिक में महिला कुश्ती स्पर्धा के 50 किलोवर्ग में स्वर्ण पदक जीतने की तरफ कदम रख दिया. इससे पहले उन्होंने बड़ा उलटफेर करते हुए अब तक अपराजेय मौजूदा चैंपियन युई सुसाकी को शिकस्त देने के बाद यूक्रेन की ओकसाना लिवाच को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी.
इसी लय को कायम रखते हुए उन्होंने लोपेज को 5-0 के अंतर से शिकस्त देकर फाइनल का टिकट कटाया. इस स्पर्धा का फाइनल आज बुधवार को खेला जाएगा. विनेश के सामने अमेरिका की सारा ऐन हिल्डेब्रांड की चुनौती होगी.
पुरुष वर्ग में सुशील कुमार और रवि दाहिया को ओलंपिक फाइनल खेलना का अनुभव है. लेकिन ये दोनों रजत पदक ही जीत पाए थे. ऐसे में विनेश के पास कुश्ती में देश का पहला स्वर्ण पदक विजेता बनने का मौका होगा. विनेश रियो और टोक्यो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थीं.
विनेश अपने शुरुआती मुकाबले से ही शानदार लय में दिखीं. उन्होंने शुरुआती दौर में शीर्ष वरीयता हासिल कर सुसाकी को 3-2 से हराकर बड़ा उलटफेर किया. टोक्यो खेलों की स्वर्ण पदक विजेता और चार बार की विश्व चैंपियन सुसाकी ने इससे पहले अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 82 मुकाबलों में से किसी में भी हार का सामना नहीं किया था.
जापान की इस खिलाड़ी को शायद ही इस बात का अंदाजा था कि इन खेलों के पहले मुकाबले में ही उन्हें किस चुनौती का सामना करना है. विनेश ने आखिरी कुछ सेकेंडों में मैच का पासा पलटते हुए 3-2 की यादगार जीत दर्ज की. उन्होंने इसके बाद क्वार्टर फाइनल में पूर्व यूरोपीय चैंपियन और 2018 विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता लिवाच की चुनौती को 7-5 से खत्म किया.
उन्होंने इस लय को सेमीफाइनल में जारी रखते हुए क्यूबा की पहलवान को अंक बनाने का कोई मौका नहीं दिया. लोपेज ने शुरुआती राउंड में विनेश के पैर पर पकड़ बनाने की कोशिश की. लेकिन उनके अतिरक्षात्मक खेल की वजह से भारतीय पहलवान को एक अंक की बढ़त बनाने की मौका मिल गया. शुरुआती राउंड में बढ़त बनाने के बाद विनेश ने दूसरे राउंड में आक्रामक शुरुआत की और प्रतिद्वंद्वी पहलवान के दाएं पैर पर मजबूत पकड़ के साथ 5-0 की बढ़त बना ली. क्यूबा की पहलवान ने इसके बाद विनेश पर पकड़ बनाने की कोशिश की लेकिन विनेश के शानदार रक्षण के आगे उनका प्रयास विफल हो गया.
अपना तीसरा ओलंपिक खेल रही 29 साल की विनेश इन खेलों में अपने पहले पदक से अब सिर्फ एक जीत दूर हैं. विनेश के पास ओलंपिक छोड़ हर बड़े खेल का पदक हैं. इसमें राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण, एशियाई खेल में पदक, विश्व चैंपियनशिप के दो कांस्य के साथ एशियाई चैंपियनशिप के पदक शामिल हैं. वह रियो और टोक्यो ओलंपिक में हालांकि पदक नहीं जीत सकी थीं.
भारत के राष्ट्रीय कोच वीरेंद्र दहिया ने अंतिम पंघाल के ड्रॉ के लिए रवाना होने से पहले कहा, 'विनेश ने जो किया है. वह किसी चमत्कार से कम नहीं है. निशा की चोट की वजह से सोमवार का दिन बहुत दुखद था. लेकिन विनेश ने उस दर्द को कुछ कम किया है.
जापान की पहलवान के खिलाफ जीत के बाद सिर्फ भारतीय खेमा ही नहीं बल्कि ड्रॉ के इस हाफ में शामिल अन्य पहलवान भी जश्न मना रहे थे. विनेश के खिलाफ अंतिम आठ में 5-7 की करीबी हार के बाद लिवाच ने कहा कि विश्व चैंपियन के बाहर होने के बाद मुझे लगा कि अब मेरे पास बेहतर मौका होगा. लेकिन विनेश बहुत मजबूत थीं. मैंने पूरा दमखम लगाने की कोशिश की लेकिन मैं कुछ गलतियां भी कर बैठी.
सुसाकी के पास विनेश के खिलाफ मुकाबले में आखिरी कुछ सेकेंड से पहले तक 2-0 की बढ़त थी. विनेश अपने अनुभव का पूरा इस्तेमाल कर आखिरी नौ सेकेंड में जापान की चैंपियन पहलवान को टेकडाउन कर दो अंक हासिल करने में कामयाब रही.
जापान की टीम ने इसके खिलाफ अपील भी की लेकिन रेफरी ने वीडियो रीप्ले देखने के बाद उसे खारिज कर दिया जिससे विनेश को एक और अंक मिला और उन्होंने 3-2 से जीत हासिल कर ली.
सुसाकी के खिलाफ विनेश ने वह कर दिखाया जिसके बारे में शायद कम ही लोगों ने सोचा होगा. ओलंपिक से पहले उन्होंने स्पेनिश ग्रां प्री में भाग लिया था और उसमें जीत दर्ज की थी. इस स्पर्धा में हालांकि शीर्ष पहलवान नहीं थे. फिर भी इससे उन्हें मैट में समय बिताने का मौका मिला. निशा दहिया सोमवार को महिलाओं के 68 किग्रा में कंधे की चोट के कारण क्वार्टर फाइनल में हार के बाद पहले ही प्रतियोगिता से बाहर हो गई हैं.
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