देशव्यापी बंद का आह्वान, गरियाबंद में धरना प्रदर्शन, सुन्नी मुस्लिम जमात ने भी समर्थन, छत्तीसगढ़ में दिखा मिला जुला असर, जानें प्रदेश का हाल

Call for nationwide bandh protest in Gariaband Sunni Muslim Jamaat also supported mixed effect seen in Chhattisgarh know the condition of the state

देशव्यापी बंद का आह्वान, गरियाबंद में धरना प्रदर्शन, सुन्नी मुस्लिम जमात ने भी समर्थन, छत्तीसगढ़ में दिखा मिला जुला असर, जानें प्रदेश का हाल

गरियाबंद : सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये फैसले के मुताबिक एससी एसटी आरक्षण में कोटा के अंदर सब कोटा यानी क्रीमीलेयर के तहत आरक्षण के निर्धारण का  फैसला दिया गया है. जिसके खिलाफ एससीएसटी परिसंघ ने 21अगस्त को  भारत बंद का आयोजन रखा. जिसके तहत एससी एसटी तबके के सैकड़ों लोगो ने गरियाबंद स्थित तिरंगा चौक में एक दिवसीय धरना दिया और अपने मांगों को लेकर नारेबाजी की.
इस आंदोलन को गरियाबंद सुन्नी मुस्लिम जमात ने भी समर्थन पत्र देकर इनकी जायज मांगों के समर्थन में धरना स्थल पर पहुंचे और दूर-दूर से पहुंचे प्रदर्शन कारियों को समाज की तरफ से युवाओं ने शरबत वितरण किया.
इस मौके पर सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख उमेदी राम कोर्रम, टीकम नागवंशी, पन्ना लाल ध्रुव, गोविंद राम उइके, लोकेश्वरी नेताम जिला पंचायत सदस्य समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे. वहीं मुस्लिम समाज की तरफ से मुतवल्ली अब्दुल कय्यूम, नायब सदर ताहिर खान, जुनेद खान सहित समाज के युवा शामिल रहे.
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रायपुर : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरोध में ST/SC वर्ग द्वारा और आदिवासी संगठनों ने बुधवार को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया. यह बंद हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर बुलाया गया. ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (एनएसीडीएओआर) ने मांगों की एक लिस्ट भी जारी की है. इसमें सबसे अहम अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग है. 
रायपुर में भारत का बंद का असर मिला-जुला देखने को मिला. कुछ दुकाने बंद रही तो कुछ खुली रही. वहीं बंद को कामयाब बनाने के लिए कई संगठन सड़कों पर उतरकर व्यवसायियों से बंद करने की अपील करते दिखे.
रायपुर में एसटी-एससी संयुक्त मोर्चा के लोग बंद कराने के लिए सुबह से ही सड़कों में दिखाई दिए. इसके साथ ही बंद के दौरान किसी तरह की अनहोनी न हो इसके लिए रायपुर पुलिस के जवान बड़ी तादाद में सड़कों पर तैनात रही.
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जांजगीर : अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति में क्रीमी लेयर के फैसले के विरोध में जांजगीर में सुबह से व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. सड़कों पर रैली निकाल कर दुकानों को बंद करने की अपील की गई. जांजगीर के नेताजी चौक, कचहरी चौक, नैला रोड, केरा रोड सभी व्यावसायिक परिसर प्रतिष्ठा को बंद रहे. ज्यादातर स्कूल के वाहन बच्चो को लेने नहीं पहुचे.

जगदलपुर : में एससी एसटी आरक्षण पर क्रीमी लेयर विषय पर सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले के विरोध में कई राजनीतिक दल एवं सामाजिक संगठनों के द्वारा बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया गया. जिसके चलते इसका असर बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में भी देखने को मिला. सुबह से ही कई राजनीतिक दल एवं सामाजिक संगठन के लोगों ने सड़क पर बाइक रैली निकाल कर नारे बाजी करते हुए भारत बन्द का आह्वान करते दिखाई पड़े. इस भारत बन्द के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना ना हो इसको ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा चौक चौराहो पर पुलिस सुरक्षा व्यवस्था की गई.

कांकेर : जिले में भी एसटी एससी सामाजिक संगठनों ने किया देशव्यापी बंद का आव्हान किया. जिसमे जरुरी सेवाओं को छोड़कर स्कूल और व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. देशव्यापी बंद के आव्हान पर चेंबर ऑफ कामर्स ने दिया समर्थन दिया. सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक बंद व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे.

सुकमा : अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति में क्रीमी लेयर के फैसले के विरोध में सर्व आदिवासी द्वारा भारत बंद का सुकमा मे दिखा व्यापक असर देखने को मिला. सुबह से ही सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बन्द रहे. वहीं बसों के पहिये भी थम गए. सिर्फ आपातकालीन सेवाएं है चालू रही.
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क्या है मांग
संगठन एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर संसद द्वारा एक नये कानून को पारित करने की भी मांग कर रहा है. जिसे संविधान की नौवीं सूची में समावेश के साथ संरक्षित किया जाए. साथ ही इनकी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले या फिर पुनर्विचार करे.
कौन-कौन भारत बंद में है शामिल
इस भारत बंद को कम से कम तीन राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है. मायावती की बसपा (BSP), हेमंत सोरेन की जेएमएम (JMM) और लालू प्रसाद याद की पार्टी राजद (RJD) इस बंद के समर्थन में है. साथ ही भीम आर्मी ने भी इसका समर्थन किया है.
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आदिवासी नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त को दिए गए फैसले अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कोटे के अंदर कोटा  और कोट के अंदर क्रीमी लेयर निर्धारित करने का अधिकार राज्यों को देने फैसला पारित किया है. इस फैसलेसे देश भर के अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति वर्ग प्रभावित हो रहे हैं. हकीकत में अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति वर्ग के भीतर वर्गीकरण करने का ज्यादातर राज्यों को नहीं है. क्योंकि आर्टिकल 341 (2) एवं 342 (2) यह हक देश के सांसद को देता है और यही बात ई वी चिनौया मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 2005 में कहा था और यही बात पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह मामले में 1 अगस्त 2024 के निर्णय में 7 जजों में से एक जज अन्य 6 जजों के फैसले से असहमति जताते हुए अपना फैसला उपवर्गीकरण और  क्रीमीलेयर के खिलाफ दिया है.
एससी एसटी वर्ग के भीतर वर्गीकरण का यह हक राज्यों को देने से एक वर्ग के भीतर ही नया संघर्ष से शुरु हो जाएगा और फिर NFS (NOT FOUND SUITABLE) का दौर शुरु हो जाएगा. भविष्य में बगैर भरी रिक्त सीट सामान्य कोटे में अघोषित रुप से तब्दील हो जायेगी. एससी एसटी के भीतर ओबीसी की तरह क्रीमी लेयर लागू होने से यह वर्ग दो भागों में बंट जाएगा. मुख्यधारा की तरफ थोड़ा आगे बढ़ रहे हैं वे  क्रिमि लेयर के दायरे  में आ जाएंगे. यह वर्ग प्रतियोगिता में शामिल होने के पहले ही अघोषित रुप से बाहर हो जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देश के 100 सांसदों ने देश के प्रधानमंत्री से मुलाकात की. अगले दिन अखबार में आया कि पीएम एससी,एसटी के भीतर क्रीमी लेयर लागू नही करेंगे. लेकिन उप वर्गीकरण पर चुप्पी साधे हैं. यह सिर्फ कोरा आश्वाशन है.
उधर गठबंधन अलायंस वाले भी चुप्पी साधे हुए हैं. वोट तो संविधान और आरक्षण के नाम पर मांगे हैं. लेकिन जब आरक्षण पर बात आई तो मुंह में दही जमाकर बैठे हैं. ये दोहरा चरित्र नही चलेगा.
मशहूर शायर राहत इंदौरी जी अक्सर कहा करते थे कि हमारे पैर का कांटा हम ही से निकलेगा. इसलिए 21 अगस्त भारत बंद का समर्थन देश भर के अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारी, युवा बेरोजगार,विद्यार्थी, किसान पंचायत एवं आंगनबाड़ी कर्मचारी समेत तमाम लोगों को करना पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला अपने आप में कानून है. इसे सिर्फ संविधान संशोधन से ही बदला जा सकता है. कोरे आश्वासन से नहीं. अगर संविधान संशोधन नहीं लाया गया तो इसका खामियाजा देश भर के अनुसूचित जाति जनजाति को भुगतना पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अमल 1 सितंबर से शुरु हो सकता है.
कई राज्य पहले से ही वर्गीकरण करने को तैयार बैठी है.आंध्र प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक बिहार, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, 2004 की गठबंधन केंद्रीय सरकार इत्यादि ने पहले उप वर्गीकरण करने कोशिश की थी. लेकिन ई वी चिनैया फैसले ने इनके मनसुबो पर पानी फेर दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त के फैसले से ई बी चिनैया फैसले को 7 जजों की बेंच ने पलट दिया.
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले 6, 7, 8 फरवरी 2024  तीन दिन चली सुनवाई में भारत सरकार के एडवोकेट और कईराज्यों की तरफ से शामिल अधिवक्ताओं ने उप वर्गीकरण का समर्थन किया है. -एससी, एसटी,ओबीसी वर्ग के संवैधानिक अधिकारों का समर्थक.
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मैनपुर बंद पूर्णत सफल, हजारों लोगों ने निकाली रैली केंद्र सरकार के खिलाफ किया जमकर नारेबाजी

गरियाबंद/मैनपुर : 21 अगस्त को भारत बंद के समर्थन में तहसील मुख्यालय मैनपुर नगर समेत पूरे विकासखंड क्षेत्र मे बंद पूरी तरह कामयाब रहा. सुबह से दुकानो के शटर नही खुले. वाहनो के पहिए क्षेत्र मे थमे रहे. स्कूल कॉलेज प्रभावित रहा. सैकड़ो छात्र छात्राएं खुद छुटटी लेकर धरना प्रदर्शन मे शामिल होने पहुंचे और तो और सरकारी कार्यालयों में भी कामकाज पूरी तरह प्रभावित रहा.
भारत बंद के तहत एसटी, एससी संयुक्त मोर्चा द्वारा पिछले एक हफ्ते से बंद को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार और तैयारी की गई थी. व्यापारियों और क्षेत्र के लोगो से समर्थन मांगा गया था. बस स्टैण्ड मैनपुर मे टेंट लगाकर धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया.


धरना प्रदर्शन का शुभारंभ जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम, जिला पंचायत सभापति एवं आदिवासी महिला प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती लोकेश्वरी नेताम, आदिवासी युवा नेता महेन्द्र नेताम, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष रामकृष्ण ध्रुव, खेदू नेगी, पूरन मेश्राम, खिलेन्द्र कुटारे एवं समाज प्रमुखों द्वारा विधिवत् संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की छायाचित्र की पूजा अर्चना कर धरना प्रदर्शन का शुभारंभ किया.
धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने कहा लगातार एसटी एससी के अधिकारों का हनन किया जा रहा है. जिसे किसी भी सूरत मे बर्दाश्त नही किया जाएगा. अब एसटी एससी समाज अपने अधिकारों के लिए जाग चुकी है. हर स्तर पर विरोध किया जाएगा.
नेताम ने कहा केन्द्र सरकार के ईशारे पर लगातार एसटी एससी को प्रताड़ित करने का षडयंत्र रचा जा रहा है. यह आरक्षण का अधिकार हमे बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने दिया है और यह हमारा हक है.
जिला पंचायत सभापति एवं आदिवासी महिला प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती लोकेश्वरी नेताम ने कहा लगातार संविधान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. आदिवासी और दलित पिछड़े समाज को मिले अधिकारों को खत्म करने की साजिश देश के भीतर चल रही है. जिसे अब आदिवासी और दलित पिछड़े सभी समाज के लोग समझ चुके है.
श्रीमती नेताम ने कहा देश के भीतर धर्म के नाम पर लोगो की भावनाओं के साथ खेलने वाले चंद नेताओ और उद्योगपतियों को अब देश की जनता बेनकाब करेगी.
आदिवासी युवा नेता महेन्द्र नेताम ने अपने संबोधन मे क्षेत्र के सभी समाज के लोगो को आज बंद को पूरी तरह कामयाब बनाने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा हमारे इस आदिवासी मैनपुर विकासखंड क्षेत्र मे लोगो मे भाईचारा देखने को मिलता है. आज हमारे आंदोलन को सभी वर्गो के लोगो ने जो सहयोग दिया है उसके लिए उन्होने सभी का आभार व्यक्त किया.
एसटी, एससी संयुक्त मोर्चा द्वारा आज महाबंद एवं धरना प्रदर्शन को कामयाब बनाने के लिए जिला पंचायत के उपाध्यक्ष संजय नेताम के नेतृत्व में राजापड़ाव, गौरगांव सहित आठ ग्राम पंचायत क्षेत्रों से लगभग तीन हजार से ज्यादा आदिवासी समाज के लोग मोटरसायकल रैली निकालकर मैनपुर पहुंचे और मैनपुर मे ऐतिहासिक स्वागत किया गया. जिसके बाद मैनपुर मे भव्य रैली निकाली गई. यह रैली अंबेडकर चौक पहुंचकर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की पूजा अर्चना किया इस दौरान जमकर नारेबाजी किया गया. मैनपुर में भव्य आक्रोश रैली निकालकर जमकर नारेबाजी किया गया और एसडीएम कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया.


इस मौके पर प्रमुख रुप से जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम, जिला पंचायत सभापति एवं आदिवासी महिला प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती लोकेश्वरी नेताम, आदिवासी युवा नेता महेन्द्र नेताम, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष रामकृष्ण ध्रुव, हेमसिंह नेगी, खेदू नेगी, पूरन मेश्राम, खिलेन्द्र कुटारे, भोला जगत, गुंजेश कपिल, सुभाष मरकाम, नोकेलाल ध्रुव, गगन नेगी, प्रदीप मरकाम, युवराज नेताम, टीकम कपिल, थंजूलता नेताम, कोमेश्वरी ध्रुव, कमलेश्वरी नागेश, सरपंच कमला बाई नागेश, दुलेश्वरी नागेश, बलदेव राज ठाकुर, प्रियंका कपिल, नीराबाई कपिल, रामस्वरूप मरकाम, योगेन्द्र लोकेश सांडे, खोलूराम, खेलन दीवान, जिलेन्द्र नेगी, सुनील मरकाम, कृष्ण कुमार नेताम, अजय नेताम, दैनिक राम मंडावी, सखाराम, बनसिंह सोरी, सोहन नागेश, बृजलाल सोनवानी, तुलसी नागेश, बिशेसर सिक्का, वली मोहम्मद धन्नाड़ी, अनीश सोलंकी, गुलाम मेमन, ईश्वर नागेश, रामसिंह नागेश सहित हजारो की तादाद में लोग शामिल हुए.
भारत बंद का मैनपुर आदिवासी क्षेत्र मे भारी व्यापक असर देखने को मिला सुबह से कोई भी दुकान के शटर नही खुले तो वहीं वाहनो के पहिए पूरी तरह थमे रहे. सरकारी कार्यालयों मे कामकाज ठप्प रहा. अधिकारी कर्मचारी और स्कूली छात्र भी अवकाश लेकर धरना प्रदर्शन मे शामिल हुए. यह बंद इतना ऐतिहासिक रहा कि ग्रामीण ईलाको के छोटे छोटे दुकान भी बंद रहे.
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