युवाओं के लिए मोबाइल-लैपटॉप बना जान का दुश्मन

नई दिल्ली (एजेंसी )। जोड़ों का दर्द एक उम्र विशेष तक सीमित नहीं रह गया है। खराब दिनचर्या के चलते युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अध्ययन में सामने आया है कि राजधानी दिल्ली के 58 प्रतिशत युवा किसी न किसी जोड़ों के दर्द से परेशान हैं।

युवाओं के लिए मोबाइल-लैपटॉप बना जान का दुश्मन

नई दिल्ली (एजेंसी )। जोड़ों का दर्द एक उम्र विशेष तक सीमित नहीं रह गया है। खराब दिनचर्या के चलते युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अध्ययन में सामने आया है कि राजधानी दिल्ली के 58 प्रतिशत युवा किसी न किसी जोड़ों के दर्द से परेशान हैं। एम्स के रूमेटोलॉजी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर उमा कुमार ने कहा, जब मोबाइल देखने के लिए गर्दन 15 डिग्री नीचे झुकाते हैं तो गर्दन पर तीन गुणा ज्यादा वजन बढ़ जाता है। इसका असर गर्दन की हड्डियों पर पड़ता है और इसकी वजह से दर्द शुरू होता है। सर्वे में यह पता चला कि 56 प्रतिशत युवाओं में सबसे अधिक गर्दन के दर्द की परेशानी है। 29 प्रतिशत को कंधों में दर्द, 27 प्रतिशत कमर के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत कर रहे हैं। नौ प्रतिशत युवा घुटनों में दर्द कलाइयों में दर्द से ग्रसित हैं। डॉ. उमा कुमार ने कहा, दिल्ली का प्रदूषण और वायरल फीवर भी जोडों के दर्द की एक वजह बनता है। कोविड महामारी के बाद लोगों में जोड़ों के दर्द की शिकायत बढ़ी है। 12 अक्टूबर को वर्ल्ड अर्थराइटिस डे को ध्यान में रखते हुए शोध के परिणाम जारी कए गए हैं। डॉ. उमा कुमार ने बताया कि हम कार्यालय, स्कूल से लेकर कॉलेज तक में यह सर्वे किया था। इसमें 510 लोगों ने हिस्सा लिया था और उनकी उम्र 12 से 50 साल के बीच थी। सर्वे में उन्हें शामिल किया गया था, वो हफ्ते में 5 दिन और रोजाना 6 घंटे और इससे ज्यादा समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करते थे।