हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता शम्मी कपूर और फ़िरोज़ खान की फिल्मो और उनके चाहने वाले दर्शको में कोई समानता नहीं दिखती...

हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता शम्मी कपूर और फ़िरोज़ खान की फिल्मो और उनके चाहने वाले दर्शको में कोई समानता नहीं दिखती..... शम्मी कपूर की इमेज एक रोमांटिक डांसिग स्टार की रही है वही फ़िरोज़ खान वेस्ट कल्चर के Cowboy की छवि से बंधे हुए थे .....

हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता शम्मी कपूर और फ़िरोज़ खान की फिल्मो और उनके चाहने वाले दर्शको में कोई समानता नहीं दिखती...

हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता शम्मी कपूर और फ़िरोज़ खान की फिल्मो और उनके चाहने वाले दर्शको में कोई समानता नहीं दिखती..... शम्मी कपूर की इमेज एक रोमांटिक डांसिग स्टार की रही है वही फ़िरोज़ खान वेस्ट कल्चर के Cowboy की छवि से बंधे हुए थे .....दोनों की एक अलग अलग फैंस फ्लोइंग रही है बावजूद इसके ये दोनों अभिनेता 50-60 के दशक में हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता माने जाते थे ..........आज जो किस्सा हम आपके सामने रख रहे है वो इन दोनों कलाकारों से जुड़ा हुआ है जब एक बार दोनों सरेआम एक दूसरे से भिड़ गए थे , दोनों के बीच जमकर मार पिटाई हुई जिसके गवाह हिंदी फिल्म इंडस्ट्रीज़ की कई मशहूर हस्तियां बनी ....

राज कपूर ने अपनी फिल्म 'बॉबी' (1973) के लिए लोअर परेल के एक स्टूडियो में "मैं शायर तो नहीं" गाना रिकॉर्ड किया था जिसके ठीक बाद उन्होंने अपनी नई फिल्म की शुरुआत का जश्न मनाने के लिए एक पार्टी रखी थी जिसमे फ़िल्मी दुनिया कई मशहूर हस्तियों ने शिरकत की........ आमंत्रित लोगों में शम्मी कपूर और फ़िरोज़ खान भी थे तब शम्मी कपूर का आध्यात्म की तरफ झुकाव हो रहा था और वो दाढ़ी रखने लगे थे .......फ़िरोज़ खान हाल ही में कनाडा में इंटरनेशनल क्रुक (1974) की शूटिंग से लौटे थे अभिनेता शम्मी कपूर का वजन भी काफी बढ़ गया था उन्होंने अपनी ट्रेडमार्क दाढ़ी बढ़ा रखी थी..... शम्मी कपूर के इस नए लुक को देखकर देखकर फिरोज हैरान रह गए ....उन दिनों फिरोज खान फिल्म 'धर्मात्मा' (1975) की शूटिंग शुरू करने वाले थे फ़िरोज़ खान ने शम्मी कपूर से स्पष्ट रूप से कहा  ....

वह ऐसे दिखते हैं जैसे वह 'धर्मात्मा' में उनके पिता की भूमिका निभा सकते हैं बस इस बात पर शम्मी का पारा काफी हाई हो गया वो आगबबूला हो गए और फिरोज पर बुरी तरह भड़क उठे.....
फ़िरोज़ की शम्मी पर की गई इस टिप्पणी के कारण पहले तो गाली-गलौच का गरमागरम आदान-प्रदान हुआ और उसके बाद दोनों में जमकर मारपीट हुई.... दोनों के भाईयों को बीच बचाव में आना पड़ा ..... राज कपूर शम्मी कपूर को खींच रहे थे और संजय खान फ़िरोज़ खान को ........उन्हें अलग करने में थोड़ा वक्त लगा .....उन्हें जबरदस्ती अपनी-अपनी कारों में बिठाया गया लेकिन दोनों अपने अपने घर नहीं गए .... इधर सब परेशान थे कि दोनों अगर अपने अपने घर नहीं गए तो कहाँ चले गए ? बताते है कि 60 के दशक के मध्य में अभिनेत्री कल्पना को लेकर शम्मी कपूर और फ़िरोज़ खान के बीच पहले भी शालीमार होटल में लड़ाई हो चुकी थी ..इस किस्से को उस समय की कई फ़िल्मी मैग्जीन्स ने प्रमुखता से छापा था ....
बताते है की फ़िरोज़ को अपनी गलती का एहसास हुआ उन्हें लगा की शम्मी कपूर जैसे स्टार को उसके ही भाई की होस्ट की गई पार्टी में ऐसा बोलना ठीक नहीं था .......उस रात दोनों पार्टी से अपने-अपने घर नहीं गए थे बल्कि दोनों बम्बई की हाजी अली दरगाह पहुंच गए थे 

दोनों यहाँ एक दूसरे को चैलेंज कर फिर से लड़ने आये थे लेकिन यहां दोनों लड़ने की जगह एक-दूसरे को देखकर भावुक हो गए और फिर एक दूसरे को गले लगाकर रोने लगे थे.......दोनों ने एक दूसरे से वादा किया की अब आपस में कभी नहीं लड़ेंगे और दोनों ने अपना अपना मरते दम तक वादा निभाया भी बाद में इन दोनों अभिनेताओं को पार्टियों और सार्वजानिक स्थानों पर अपनी अपनी फैमिली के साथ देखा गया ...हालाँकि दोनों ने कभी भी एक साथ किसी भी फिल्म में काम नहीं किया ....

फिल्म धर्मात्मा रिलीज होने के बाद फिरोज खान और मदन पुरी के रिश्ते में कुछ गड़बड़ हो गई थी नवंबर 1982 में स्टारडस्ट पत्रिका में मदन पुरी से पूछा गया कि क्या वह कभी निर्देशक बन सकते हैं उन्होंने जवाब दिया कि ...
उन्हें इसकी जरूरत नहीं है. वह अपने अभिनेताओं का गुलाम नहीं बनना चाहते थे साथ ही फ़िरोज़ खान जैसे सी ग्रेड अभिनेता ही निर्देशक बने यह टिप्पणी फ़िरोज़ को अच्छी नहीं लगी....
हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेताओं में से एक रहे फिरोज खान और शम्मी कपूर भले ही अब इस दुनिया अब न हों लेकिन उनकी यादें आज भी उनके चाहने वालों के दिलों में जिंदा है......... फिरोज खान की डायलॉग डिलीवरी और शम्मी कपूर के मस्त डांस को भला कौन सिने प्रेमी भूल सकता है दोनों में बस इतना फर्क है की शम्मी कपूर का कभी भी विवादों में नहीं रहे जबकि अभिनेता फ़िरोज़ खान का विवादों से चोली दामन का साथ रहा है .....

'धर्मात्मा' में पहले वो जीनत अमान को लेना चाहते थे लेकिन जब उसने 'रेशमा' वाला रोल करने से मना कर दिया तो उनसे भी फिरोज खान का विवाद हुए था और बाद में जीनत अमान को अपनी फिल्म 'कुर्बानी ' में लेने के लिए उन्हें अपने एक परिचित का सहारा लेना पड़ा था... 

पवन मेहरा
'सुहानी यादे बीते सुनहरे दौर की '