80 टन राख का पहाड़ गिरा, 1 मजदूर की मौत, 5 लापता, मालिक और मैनजर फरार, मुआवजे और सुरक्षा की मांग पर अड़े परिजन, शव लेने से इंकार

A mountain of 80 tonnes of ash fell, 1 worker died, 5 missing, owner and manager absconded, family members adamant on demanding compensation and security, refusing to take the dead body

80 टन राख का पहाड़ गिरा, 1 मजदूर की मौत, 5 लापता, मालिक और मैनजर फरार, मुआवजे और सुरक्षा की मांग पर अड़े परिजन, शव लेने से इंकार

बिलासपुर : गुरुवार को मुंगेली जिले के सरगांव तहसील स्थित रामबोड़ में स्पंज प्लान्ट में बड़ा हादसा सामने आया. प्लान्ट के एस सायलो से 80 टन राख गिरने से मौके पर ही एक मजदूर की मौत हो गई. साथ ही 5 मजदूर अभी तक लापता है. रेस्क्यू अभियान चलाकर अभी तक गायब तीनों मजदूरों की तलाश की जा रहा है.
हादसे में 5 लोगों के दबे होने की पुष्टि कलेक्टर राहुल देव ने की है. हादसा कल दोपहर हुआ, जिसमें से 2 मजदूरों को शाम को रेस्क्यू कर अस्पताल भेजा गया. इलाज के दौरान मनोज कुमार कश्यप नामक एक व्यक्ति की मौत हो गई. जबकि एक का अभी भी बिलासपुर के अपोलो अस्पताल मे उपचार जारी है.
इस हादसे में मृतक मनोज कुमार धृतलहरे के परिजनों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए शव लेने से इंकार कर दिया है. परिजनों का कहना है कि जब तक मृतक के परिवार को उचित मुआवजा नहीं दिया जाता और प्लांट में फंसे अन्य श्रमिकों को सुरक्षित बाहर नहीं निकाला जाता. तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. बिलासपुर जिला अस्पताल के मर्चुरी में जमकर हंगामा किया. 
परिजनों का विरोध और मांगें
हादसे के बाद मृतक के परिवार और अन्य स्थानीय लोगों ने बिलासपुर जिला अस्पताल में विरोध प्रदर्शन शुरु कर दिया. उनकी प्रमुख मांगें इस तरह हैं:
1. उचित मुआवजा: मृतक के परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता दी जाए.
2. रेस्क्यू ऑपरेशन की प्राथमिकता: प्लांट की चिमनी में फंसे श्रमिकों को शीघ्र और सुरक्षित बाहर निकाला जाए.
3. प्लांट प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई: हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई हो.
घटना के बाद से पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल है परिजनों के विरोध प्रदर्शन के कारण अस्पताल और प्लांट के बाहर सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. स्थानीय लोगों ने भी मृतक के परिवार का समर्थन करते हुए प्लांट प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है.
बताया जा रहा है कि प्रबंधन की लापरवाही से बड़ा हादसा हुआ है. इस मामले में मुख्यमंत्री ने स्थानीय जिला प्रशासन को मुआवजा से लेकर मामले में जांच पड़ताल का आदेश दिया है. सुबह जिला प्रशासन की रेस्क्यू टीम लगातार अभियान चलाकर राख हटाने के साथ गायब तीन मजदूरों की तलाश कर रही है. घटना के दौरान राख लेने पहुंचा डम्बर भी राख के नीचे दफन है. जबकि इंजन बाडी की कचूमर निकल गया है.
घटना की जानकारी मिलते ही मुंगेली जिला प्रशासन मौके पर पहुंच गया. छानबीन के दौरान और प्रबंधन समेत स्थानीय लोगों से हादसे की जानकारी मिली. सूत्र ने बताया कि हमेशा की तरह स्पंज आयरन से राख का उत्पादन भी होता है. गुरुवार को दोपहर करीब एक बजे डम्पर में आटोमेटिक कन्टेनर से राख भरने का काम किया जा रहा था. ठीक इसी दौरान ऐस सायलो यानी राख कन्टेनर से भारी तादाद में राख का पहाड़ नीचे स्थित डम्पर और काम करने वाले मजदूरों पर गिर गया. और इसके बाद क्षेत्र में राख का गुबार ही गुबार देखने को मिला. इस हादसे की जानकारी के बाद लोगों ने घटना स्थल की तरफ दौडने लगे. तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
प्रबंधन के कुछ कर्मचारियों ने बताया कि स्पंज आयरन का बाय प्रोडक्ट राख का हमेशा उत्पादन होता है. हमेशा की तरह एक डम्पर राख के कन्टेनर के नीचे खड़ा हुआ. कन्टेनर में राख की क्षमता करीब 120 टन है. लोगों की माने तो 80 टन है. नीचे डम्पर रखने के बाद मजदूर ने धीरे-धीरे खोलने के बजाय तेजी से नोजल खोल दिया. इसके अन्य मजदूर दूसरा काम कर रहे थे. यकायक नोजल खुलने से एक साथ करीब 80 से 120 राख सीधे मजदूरों और डम्पर पर गिरा. डम्पर का इंजन दूर जाकर गिरा. जबकि कुल चार मजदूर राख के ढेर में समा गए. इसमें एक मजदूर को किसी तरह बाहर निकाला गया और आनन-फानन में श्री केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया. तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. मृतक मजदूर का नाम  मनोज है और दगोरी का रहने वाला है.
इसी दौरान जानकारी मिली कि तीन मजदूर गायब है. और तीनों इस समय राख के पहाड़ में दबे हैं. बहरहाल कल से आज सुबह तक जिला प्रशासन का रेस्क्यू अभियान जारी है. और गायब तीनों मजदूरों का पता लगाया जा रहा है. खबर लिखे जाने तक युद्ध स्तर पर राख हटाने का काम किया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक रामबोड़ में कुसुम स्मेल्टर प्लान्ट फर्म का मालिकाना अधिकार आदित्य अग्रवाल समेत पांच लोगों के पास है. अन्य चार मालिकों में दो का नाम विशाल और सतीश अग्रवाल है. पांचो पार्टनर फिलहाल गायब हैं. घटना के बाद प्लान्ट मैनेजर अमित केड़िया भी फरार है.
ग्रामीण क्षेत्र में होने की वजह से प्लान्ट की सुरक्षा को लेकर ना तो जिला प्रशासन सजग है. और ना ही उद्योग विभाग ने कभी गंभीरता  दिखाया है. सूत्र की माने तो प्लान्ट का संचालन भारी लापरवाही के साथ किया जा रहा था. मजदूरों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर प्लांट प्रबंधन पूरी तरह से लापरवाह है. अकुशल मजदूरों से प्लान्ट का काम कराया जाता है. प्रबंधन पर जब तब आर्थिक और मानसिक शोषण का आरोप लगा है. प्लान्ट में सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा की सुविधा नहीं है. बावजूद इसके प्रशासन ने शिकायतों और आरोपो को कभी गंभीरता से नहीं लिया. अगर लिया जाता तो शायद भयंकर हादसे को टाला जा सकता था.
मुंगेली कुसुम प्लांट हादसा एक गंभीर औद्योगिक दुर्घटना है. जिसने कई परिवारों को गहरे संकट में डाल दिया है. प्रशासन और प्लांट प्रबंधन को जल्द से जल्द समाधान निकालना होगा. ताकि परिजनों का आक्रोश शांत हो सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके.
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