CM साय ने गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं, दस दिवसीय गणेशोत्सव काआज से शुभारंभ, गाजे-बाजे के साथ पंडालों में विराजे विघ्नहर्ता

CM Sai wishes Ganesh Chaturthi ten day Ganeshotsav begins from today Vighnaharta sits in pandals with musical instruments

CM साय ने गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं, दस दिवसीय गणेशोत्सव काआज से शुभारंभ, गाजे-बाजे के साथ पंडालों में विराजे विघ्नहर्ता

रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गणेश चतुर्थी के मौके पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी. उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की.
कहा कि छत्तीसगढ़ में गणेश चतुर्थी का पर्व उत्साह से मनाया जाता है. इस दौरान गांव से लेकर शहर तक भगवान गणेश की आराधना पूरी श्रद्धा और धूमधाम से की जाती है. बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक सभी में आस्था और उत्साह का एक अनुपम संगम दिखाई देता है. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी के द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों में एकता के भाव को जागृत करने के लिए सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरूआत की गई थी. देशभर में यह उत्सव अब सामाजिक समरसता का अनूठा उदाहरण बन गया है.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर अपने रायपुर निवास में पूरे विधि विधान के साथ भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना की. मुख्यमंत्री ने परिजनों के साथ पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की. वन एवं जल वायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप, मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद सहित निवास कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे.
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रायपुर : गणेश चतुर्थी उत्सव की शुरुआत आज 7 सितंबर से होने जा रही है. दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का समापन 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा.
अरविन्द तिवारी ने कहा कि पुराणों के अनुसार इसी चतुर्थी को मध्याह्न काल में गणेश का जन्म हुआ था इसलिये मध्याह्न काल में इनकी पूजा का विशेष महत्व माना गया है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। बाल गंगाधर तिलक ने दस दिवसीय गणेशोत्सव सार्वजनिक रूप से मनाने की शुरुआत की थी। तब से आज भी कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। वैसे तो देश भर में लोग बड़ी धूमधाम से इस पर्व को मनाते हैं लेकिन यह पर्व महाराष्ट्र में खास तौर से मनाया जाता है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। वहीं घरों में भी लोग अपनी-अपनी श्रद्धानुसार एक दिन , तीन दिन , पांच दिन तो कहीं दस दिन तक विराजमान करते हैं। घर में गाय के गोबर से बनी गणेशजी की प्रतिमा रखना काफी शुभ माना जाता है। इसके अलावा घर में क्रिस्टल के गणेशजी रखने से वास्तु दोष खत्म हो जाता है। हल्दी से बने गणेश रखने से भाग्य चमकता है। कभी भी गणेशजी की प्रतिमा ऐसी जगह ना रखें जहां अंधकार रहता हो या उसके आस-पास गंदगी रहती हो। सीढ़ियों के नीचे भी गणेश जी की प्रतिमा नहीं रखनी चाहिये। ध्यान रखें कि जब भी गणेशजी मूर्ति लें तो उसमें उनका वाहन चूहा और मोदक लड्डू जरूर बना हो , क्योंकि इसके बिना गणेशजी की प्रतिमा अधूरी मानी जाती है।  गणेशजी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना गया है। धर्म में जब कोई भी शुभ कार्य होता है तो सबसे पहले गणेश जी की पूजा आराधना की जाती है। गणेश चतुर्थी पर लोग गणेशजी को अपने घर लाते हैं , गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन अनंतचतुर्दशी को धूमधाम के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है और अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना भी की जाती है। गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है , इस दिन चंद्र दर्शन करना निषेध बताया जाता है। मान्यता है कि आज चंद्रमा के दर्शन करने से मिथ्या कलंक लग जाता है। विष्णु पुराण में एक कथा है कि श्रीकृष्ण ने एक बार चतुर्थी के दिन चंद्रमा देख लिया था तो उन पर स्यमंतक मणि की चोरी का आरोप भी लगा था। दरअसल इसके पीछे गणेशजी का चंद्रमा को दिया हुआ शाप बताया जाता है , यह शाप गणेशजी ने भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को दिया था। कथा के अनुसार एक बार गणेशजी कहीं से भोजन करके आ रहे थे तभी उनको रास्ते में चंद्रदेव मिले और उनके बड़े उदर को देखकर हंँसने लगे। इससे गणेशजी क्रोधित हो गये और उन्होंने शाप दे दिया कि तुमको अपने रूप पर इतना अंहकार है इसलिये मैं तुमको क्षय होने का शाप देता हूंँ। गणेशजी के शाप से चंद्रमा और उसका तेज हर दिन क्षय होने लगा और मृत्यु की ओर बढ़ने लगे। देवताओं ने चंद्रदेव को शिवजी की तपस्या करने को कहा।तब चंद्रदेव ने गुजरात के समुद्रतट पर शिवलिंग बनाकर तपस्या की। चंद्रदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको अपने सिर पर बैठाकर मृत्यु से बचा लिया था। इसी जगह पर भगवान शिव चंद्रमा की प्रार्थना पर ज्योर्तिलिंग रूप में पहली बार प्रकट हुये थे और वे सोमनाथ कहलाये। चंद्रदेव ने अपने अंहकार की भगवान गणेश से क्षमा मांगी। तब गणेशजी ने उनको क्षमा कर दिया और कहा कि मैं इस शाप को खत्म तो नहीं कर सकता है लेकिन आप हर दिन क्षय होंगे और पंद्रह दिन बाद फिर बढ़ने लगेंगे और पूर्ण हो जायेंगे। अब से आपको हर दिन लोग देख सकेंगे लेकिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन जो भी आपके दर्शन करेगा , उसको झूठा कलंक लगेगा। गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने के लिये गणेशजी की आराधना करनी चाहिये वे सभी मनोकामनायें पूर्ण करते हैं। गृहस्थ जीवन के लिये गणेश जी एक आदर्श देवता माना जाता है। वैसे तो गणपति बप्पा को बहुत ही सरलता से प्रसन्न किया जा सकता है। गणेश पूजा में चाँवल, फूल, दूर्वा सहित कई चीजें चढ़ाई जाती हैं लेकिन इनकी पूजा में दूर्वा का काफी महत्व है। कहा जाता है कि इसके बिना गणेश पूजा पूरी नहीं होती है। गणेश जी ही ऐसे देवता है जिनकी पूजा में दूर्वा का प्रयोग होता है। इसके पीछे एक प्रचलित कथा के अनुसार अगलासुर नाम का राक्षस ऋषि मुनियों को जीवित निगल जाता था , इस राक्षका अंत गणेशजी ने कर दिया और फिर इसे निगल लिया जिसके बाद उनके पेट में जलन होने लगी। उनके पेट की जलन के शांत करने के लिये कश्यप ऋषि ने दूर्वा दी थी , तभी से ही गणेशजी को दूर्वा चढ़ायी जाती है। गणेशजी के दर्शन सदैव सामने की ओर से करने चाहिये। कहा जाता है कि गणेशजी के पीछे की तरफ दरिद्रता निवास करती है इसलिये पीठ की तरफ से गणेशजी के दर्शन नहीं करने चाहिये। वैसे तो गणेशजी का हर रूप मंगलकारी और विघ्ननाशक है लेकिन गृहस्थियों के लिये बैठे हुये गणेशजी ही सबसे शुभ फलदायी माने गये हैं। आप घर पर आराम करते हुये गणेशजी की मूर्ति घर लाते हैं तो इससे घर में सुख और आनंद बढ़ता है। इनकी पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और आपको मानसिक शांति प्राप्त होती है। वहीं सिंदूरी रंग वाले गणेशजी समृद्घि दायक माने गये हैं , सिंदूरी वाले गणेशजी की पूजा गृहस्थ और व्यवसायियों को करनी चाहिये। संतान प्राप्ति के लिये घर में बाल गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करना शुभ माना गया है। इनकी हर रोज पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और संतान की प्राप्ति होती है। वहीं नृत्य करते हुये गणेशजी की मूर्ति लाने से घर में लाने से आनंद और उत्साह के साथ उन्नति भी होती है। ऐसे गणेशीजी की छात्रों को हर रोज पूजा करना उत्तम माना गया है। गणेशजी की मिट्टी की बनी हुई प्रतिमा शुभ फलदायी मानी गई है.

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गाजे-बाजे के साथ पंडालों में विराजे विघ्नहर्ता

बिलासपुर : विघ्नहर्ता, मंगलमूर्ति भगवान श्री गणेश जी का आगमन शुक्रवार को हुआ। गाजे-बाजे के साथ शाम व देर रात तक पंडालों में बप्पा विराजे। स्वागत में भक्तों ने जमकर आतिशबाजी की। रंग-गुलाल उड़ाए। भक्तों के चेहरे पर खुशी देखते बन रही थी। गणपति बप्पा मोरया की गूंज चहूं ओर सुनाई दी। न्यायधानी में गणेश उत्सव की तैयारी शुक्रवार को पूरा हुआ। अब सभी को सात सितंबर की सुबह का इंतजार है। आगमन के बाद अब कल से बप्पा के दिव्य दर्शन होंगे। बच्चे हों या बड़े सभी ने अपने-अपने तरीके से बप्पा की पूजा-अर्चना में लीन रहेंगे। 11 दिनों तक भक्तिमय माहौल बना रहेगा। श्री सुमुख गणेश में हुआ अभिषेकम श्री सुमुख गणेश मंदिर रेलवे कंस्ट्रक्शन कालोनी में गणेश चतुर्थी का महोत्सव शुक्रवार को प्रारंभ हुआ। तीन दिवसीय आयोजन छह से आठ सितंबर तक चलेगा। प्रथम दिवस सुबह गणपति हवन हुआ। इसके बाद अभिषेकम, सहस्त्र नाम अर्चना, महादीप आराधना के साथ सुबह 9:30 बजे भक्तों ने दर्शन किए और प्रसाद ग्रहण किया। शाम को अभिषेकम, सहस्त्र नाम अर्चना, महादीप आराधना के बाद भोग वितरण हुआ। कल भी यही परंपरा से पूजा होगी। श्री सिद्धिविनायक में उमड़ेगी भीड़ रतनपुर स्थित श्री सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालू भक्त पहुंचेंगे। यहां हर साल चतुर्थी पर दूर-दूर से भक्त आते हैं। मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। यही कारण है कि सालभर से यहां भक्तों को इंतजार रहता है.
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