छग के 2 गांव में वोटिंग से पहले हो गया फैसला, लगातार दूसरी बार निर्विरोध निर्वाचित हो गया पूरा पंचायत, सरपंच समेत 10 पंचों का पूरा पैनल
The decision was taken before voting in 2 villages of Chhattisgarh, the entire Panchayat was elected unopposed for the second time in a row, a complete panel of 10 Panchs including the Sarpanch

लगातार दूसरी बार निर्विरोध निर्वाचित हो गया पूरा पंचायत, 10 पंच के साथ सरपंच भी
रायगढ़ : रायगढ़ जिले के खरसिया विकासखंड अंतर्गत तेंदुमुडी गांव की पूरी पंचायत ही निर्विरोध निर्वाचित हो गई है. यह पहली बार नहीं बल्कि लगातार दूसरी बार ऐसा हुआ है. गांव के लोगों ने आपस में बैठक कर पूरी पंचायत तय की और नामांकन वापसी के दिन इसकी घोषणा हो गई.
इससे पहले भी यह कारनामा तेंदुमुडी गांव ने किया था. खरसिया विकासखंड के एक और गांव में कुछ साल पहले सिर्फ महिलाओं का पंचायत भी बनाया था. जिसमें महिला सरपंच और सभी वार्ड पंच महिला थी. उस गांव ने भी अद्भुत रिकॉर्ड बनाया था. हालांकि वहां दूसरी बार चुनाव करना पड़ा था. लेकिन तेंदुमुडी में यह वाक्य दोबारा दोहराया गया है.
ये है पूरी पंचायत की टीम
सरपंच - श्रीमती सविता खेमराज राठिया
वार्ड 1 मानकुंवर / अमृतलाल
2 मोहनलाल /आत्मा राम राठिया
3 लक्ष्मी बाई /गंगा प्रसाद राठिया
4 संतोषी / प्रेमलाल राठिया
5 शांति बाई /श्यामलाल राठिया
6 हीरालाल /बेदराम राठिया
7 घनश्याम /रंजीत राठिया
8 मानकुंवर /धना राम राठिया
9 दशोदा बाई /करमसिंह चौहान
10 कुंती बाई / रथलाल राठिया
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सरपंच समेत पूरा पैनल निर्विरोध निर्वाचित
बस्तर : त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन फॉर्म भरने के आखिरी दिन प्रत्याशियों ने अपने-अपने समर्थकों के साथ रिटर्निंग कार्यालय पहुंचे और नामांकन जमा किया. इस बीच बस्तर के बकावंड ब्लॉक का छोटा सा गांव बारदा सुर्खियों में है. दरअसल यहां सरपंच और पंच पद के लिए एक भी प्रत्याशी ने विरोध में नामांकन दाखिल नहीं किया. जिससे पूरा पैनल निर्विरोध चुना गया. यह महज एक संयोग नहीं, बल्कि गांववालों की एकता और पिछले विकास कार्यों की वजह से लिया गया सामूहिक फैसला था.
बता दें कि ग्रामवासियों ने चुनाव से पहले एक बैठक बुलाई. जिसमें सभी जाति-वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया. इस बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि पूर्व सरपंच कमल मौर्य के कार्यकाल की कामयाबी को देखते हुए उनके परिवार से ही नया नेतृत्व चुना जाए. इसलिए ग्रामीणों ने तिलोत्तमा मौर्य (कमल मौर्य की भाभी) को अगली सरपंच बनाने का फैसला लिया.
गौरतलब है कि कमल मौर्य के कार्यकाल में गांव में सड़कें, जल आपूर्ति, शिक्षा और कृषि से जुड़े कई विकास कार्य हुए, जिससे जनता में संतोष और विश्वास पैदा हुआ. ग्रामीणों ने इसी विकास की निरंतरता के लिए परिवार से ही नेतृत्व बनाए रखने का फैसला लिया.
बारदा गांव का यह निर्णय लोकतंत्र की नई मिसाल है. जहां जनता ने विरोध की बजाय सहमति और एकता को चुना. साथ ही, गांव में एक मार्गदर्शक मंडल भी बनाया गया. जिसमें सभी जाति-वर्ग के लोगों को शामिल किया गया है. ताकि सभी की राय का सम्मान हो और विकास कार्य बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ें.
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