पुल से नदी में कूदने वाली महिला की मौत, 45 घंटे के बाद 10 किलोमीटर दूर एनीकेट के पास मिला विवाहिता का शव, जांच में जुटी पुलिस

Woman dies after jumping into river from bridge dead body of married woman found 10 km away near Etiquette after 45 hours police engaged in investigation

पुल से नदी में कूदने वाली महिला की मौत, 45 घंटे के बाद 10 किलोमीटर दूर एनीकेट के पास मिला विवाहिता का शव, जांच में जुटी पुलिस

बिलासपुर : इंसान की जिंदगी में कई तरह के उतार-चढ़ाव आते हैं. लेकिन जब व्यक्तिगत संबंधों और सामाजिक दबावों का भार असहनीय हो जाता है. तो कुछ लोग ऐसे कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं. जो उनकी जिंदगी को ही खत्म कर देते हैं. ऐसी ही एक दुखद घटना रविवार को बिलासपुर के शनिचरी रपटा पुल पर घटित हुई. जब एक महिला साहिला चंद्राकर ने अपनी जान देने के लिए पुल से छलांग लगा दी.
रविवार को मृतिका साहिला चंद्राकर उम्र 19 साल ने शनिचरी रपटा पुल से छलांग लगा दी थी. जिसके बाद से स्थानीय प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम द्वारा महिला की तलाश की जा रही थी. सोमवार को पूरे दिन चली तलाशी के बावजूद साहिला चंद्राकर का कुछ पता नहीं चल सका.
आख़िरकार मंगलवार की सुबह ग्रामवासियों को महिला का शव दो मोहानी एनीकेट के पास पानी में दिखाई दिया. खबर मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लिया. नदी के तेज बहाव की वजह से महिला का शव घटनास्थल से करीब दस किलोमीटर दूर बहकर पहुंच गया था.
मृतिका महिला के जीवन में पारिवारिक विवाद और सामाजिक दबाव ने इस दुखद घटना की वजह बनी. बताया जा रहा है कि महिला का अपने पति से विवाद चल रहा था. जिसकी वजह से वह अपने मायके में रहने लगी थी. इस विवाद से वह पहले ही मानसिक रूप से तनाव में थी. और जब ससुराल पक्ष ने उस पर चोरी का आरोप लगा दिया. तो यह मानसिक बोझ उसके लिए असहनीय हो गया. इसी क्षोभ में आकर महिला ने अपनी जान देने का फैसला कर लिया.
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव का पंचनामा किया और उसे जिला अस्पताल भेज दिया. आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया. यह घटना न सिर्फ उस महिला की निजी त्रासदी को दर्शाती है. बल्कि यह भी दर्शाती है कि समाज में पारिवारिक विवाद और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता कितनी जरुरी है.
समाज के लिए एक संदेश
यह घटना हमें इस बात का एहसास दिलाती है कि मानसिक तनाव और पारिवारिक विवाद कितने घातक हो सकते हैं. समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह अपने आसपास के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखे और ऐसे किसी भी संकेत को नजरअंदाज न करे जो यह दर्शाता हो कि कोई व्यक्ति मानसिक दबाव में है. समय पर सहायता और समर्थन देने से ऐसी कई घटनाओं को रोका जा सकता है.
महिला की इस दुखद मौत ने न केवल उसके परिवार को शोक में डुबो दिया है. बल्कि यह भी सवाल खड़ा किया है कि क्या हम अपने समाज में मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक संबंधों को लेकर पर्याप्त संवेदनशील हैं. इस घटना को एक सबक के तौर पर देखते हुए हमें यह तय करना चाहिए कि हमारे समाज में किसी भी व्यक्ति को मानसिक तनाव और पारिवारिक विवाद के चलते अपनी जान न गंवानी पड़े.
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