अदालत ने सुनाई जेल जाने की सजा, जल्द सलाखों के अंदर जाएंगे फिल्म मेकर राम गोपाल वर्मा, देना होगा 3.75 लाख रुपए हर्जाना
Court has sentenced him to jail, film maker Ram Gopal Varma will soon be behind bars, he will have to pay 3.75 lakh rupees as compensation

मुंबई : फिल्म मेकर और डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा को मुंबई कोर्ट ने सजा सुनाई है. साल 2018 के एक मामले के सात साल बाद मुंबई कोर्ट ने फिल्म मेकर को गैर जमानती वारंट दे दिया है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राम गोपाल वर्मा को परक्राम्य लिखित अधिनियम की धारा 138 के तहत दोषी करार दिया है. फिल्म मेकर तीन महीने जेल में बिताएगा. इसके अलावा शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर 3.75 लाख रुपए भी हर्जाने के तौर पर देने पड़ेंगे. अगर राम गोपाल वर्मा तीन महीने के अंदर शिकायतकर्ता को ये रकम नहीं देगा तो उनको तीन महीने और ज्यादा जेल में रहना पड़ेगा.
राम गोपाल वर्मा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा है कि, 'मेरे और अंधेरी कोर्ट के बारे में खबरों के बारे में मैं साफ करना चाहता हूं कि ये मेरे पूर्व कर्मचारी से जुड़ा 2 लाख 38 हजार रुपए का 7 साल पुराना मामला है. मेरे वकील इसमें भाग ले रहे हैं. और क्योंकि मामला अदालत में है. इसलिए मैं आगे कुछ नहीं कहना चाहूंगा.'
राम गोपाल ने एक और पोस्ट करते हुए लिखा है कि 'ये 2.38 लाख रुपए के निपटारे के बारे में नहीं है. विवाद गढ़ने की कोशिशों में शोषण किए जाने से इंकार करने के बारे में है. बहरहाल अभी मैं बस इतना ही कह सकता हूं.'
राम गोपाल वर्मा से जुड़ा ये चेक बाउंस का मामला साल 2018 का है. जब श्री नाम की कंपनी ने राम गोपाल वर्मा की फर्म के खिलाफ केस दर्ज किया था. साल 2022 में पर्सनल बॉन्ड और 5000 रुपए की सिक्योरिटी रकम जमा करने के बाद डायरेक्टर को जमानत मिली थी.
यह फैसला उनके नए प्रोजेक्ट "सिंडिकेट" की घोषणा से एक दिन पहले आया है. अंधेरी मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया. जहां पिछले सात साल से इस मामले की सुनवाई चल रही थी. हालांकि वर्मा फैसला सुनने के लिए अदालत में पेश नहीं हुए थे.
यह मामला 2018 में श्री नामक कंपनी द्वारा महेशचंद्र मिश्रा के माध्यम से शुरु किया गया था. मामला वर्मा की फर्म "कंपनी" से संबंधित है. वर्मा, जिन्होंने "सत्या", "रंगीला", "कंपनी", "सरकार" जैसी सफल फिल्में बनाई हैं. हाल के वर्षों में उनकी फिल्में पर्दे पर प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं. वह कोविड-19 के दौरान वित्तीय संकट में फंसे गए थे. जिससे उन्हें अपना कार्यालय भी बेचना पड़ा था.
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