रेस्क्यू के 4 दिन बाद तेंदुए की संदिग्ध मौत? खाल और अंग गायब, शिकार की आशंका, ठोस कार्रवाई नहीं होने से वन एवं वन्य प्राणी असुरक्षित

Leopard dies under suspicious circumstances 4 days after rescue? Skin and organs missing, possibility of poaching, forests and wildlife unsafe due to lack of concrete action

रेस्क्यू के 4 दिन बाद तेंदुए की संदिग्ध मौत? खाल और अंग गायब, शिकार की आशंका, ठोस कार्रवाई नहीं होने से वन एवं वन्य प्राणी असुरक्षित

गरियाबंद/छुरा : गरियाबंद जिले में एक तरफ लगातार जंगलों में अवैध कटाई के मामले सामने आ रहे हैं तो ठीक दूसरी तरफ वन्य प्राणी भी अब सुरक्षित नजर नहीं आ रहे हैं. और तो और मामला सामने आने के बाद ना जांच होती है. और ना ही कोई कार्यवाही होती है. जिसकी वजह से वन विभाग की जिम्मेदारों द्वारा घटना के बाद कागजी कार्यवाही करने के पश्चात मामले को भुला दिया जाता है. अब इस मामले में सीधे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं वन मंत्री केदार कश्यप से मुलाकात कर मामले की शिकायत करने की मन बना रहे हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक गरियाबंद जिले के जिस पंडरीपानी इलाके में 4-5 दिन पहले तेंदुए को कुएं से निकालकर रेस्क्यू किया गया था. उसी इलाके के जंगल में दो अलग-अलग जगहों पर तेंदुए का शव मिला है. खाल और अंग गायब हैं. मृत तेंदुए की तादाद एक है या दो, इसकी जांच में वन विभाग द्वारा किया जा रहा है.
छुरा परिक्षेत्र के पंडरीपानी जंगल में मृत पड़े तेंदुए के शव का वीडियो पिछले तीन दिनों से वायरल हो रहा था. 500 मीटर के दूरी पर दो अलग-अलग जगहों पर बॉडी पार्ट्स मिले हैं. तेंदूपत्ता तोड़ने गए ग्रामीणों ने इसका वीडियो बना लिया था. लेकिन डर की वजह से उन्होंने इसकी खबर वन विभाग को नहीं दी.
मीडिया कर्मियों की खबर पर वन अमला दोनों स्थलों पर पहुंचा और तेंदुआ के बॉडी पार्ट्स को इकठ्ठा किया. देखने में दो तेंदुओं के अंग लग रहे हैं. खाल और पंजों से नाखून समेत कई अंग गायब हैं.
हालांकि इस मामले में डीएफओ लक्ष्मण सिंह ने कहा कि यह एक तेंदुआ है या दो, इसकी जांच चिकित्सकीय टीम कर रही है. मामला बेहद गंभीर है. परिस्थितिजन्य साक्ष्य से यह शिकार का मामला मालूम हो रहा है. अंग भी गायब मिले हैं. पीएम (पोस्टमार्टम) के बाद जांच कर दोषियों को पकड़ा जाएगा.
पिछले एक डेढ़ साल में नजर डालें तो गरियाबंद जिले के कई हिस्सों में तेंदुआ और कई वन्य प्राणियों की मौत हुई है. कई वन प्राणी का शिकार भी हुआ. लेकिन अब तक किसी मामले जिम्मेदारों पर कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हो पाई. जिसकी वजह से ना तो वन सुरक्षित नजर आ रहे हैं और ना ही वन प्राणी..
फिलहाल DNA रिपोर्ट का इंतज़ार है. लेकिन पूरे मामले को देखकर ऐसा लग रहा है कि या तो विभाग कुछ छुपा रहा है या फिर खुद किसी बड़े उलझाव में है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह प्राकृतिक मौत है. शिकारी वारदात या फिर कुछ और? जवाब अभी बाकी है.
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