अस्पताल में बच्चों की अदला-बदली, शबाना और साधना को सौंपे गए असली बच्चे, डीएनए टेस्ट से विवाद सुलझा, हॉस्पिटल की लापरवाही पर उठे सवाल

Swap of children in the hospital, real children handed over to Shabana and Sadhna, dispute resolved through DNA test, questions raised on negligence of the hospital

अस्पताल में बच्चों की अदला-बदली, शबाना और साधना को सौंपे गए असली बच्चे, डीएनए टेस्ट से विवाद सुलझा, हॉस्पिटल की लापरवाही पर उठे सवाल

दुर्ग/भिलाई नगर : दुर्ग जिला अस्पताल में बच्चा अदला बदली की गुत्थी आखिर सुलझ गई. डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद साफ हुआ कि साधना के पास जो बच्चा है वो शबाना का है. रिपोर्ट आते ही बाल कल्याण समिति की तरफ से बच्चा शबाना को देने की प्रक्रिया शुरु हुई और देर शाम दोनों माताओं को उनका बच्चा सौंप दिया गया.
आपको बता दें कि शबाना ने ही इस पूरी लापरवाही से पर्दा उठाते हुए बच्चा बदले जाने की शिकायत की थी. शबाना ने शक जताया था कि उसके पास जो बच्चा है. वह साधना का है. और साधना के पास जो बच्चा है वह मेरा है. उसने जिला अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बच्चा जिला अस्पताल में ही डॉक्टर्स को सौंप दिया और जिला अस्पताल में इस मामले के सुलझने तक खुद भी भर्ती हो गई थी.
अस्पताल की लापरवाही से जहां हिंदू शिशु मुस्लिम परिवार के पास पहुंच गया था वहीं मुस्लिम शिशु हिंदू परिवार के पास पहुंच गया था. जन्म के आठ दिन बाद जब दोनों परिवार अपने घर पहुंचे. तब जाकर उन्हें शिशुओं के अदला-बदली की जानकारी मिली. शबाना कुरैशी के परिवार ने इस पूरे मामले को सुलझाने के लिए कलेक्टर से मदद की गुहार लगाई थी. जिसके बाद कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देश पर एक टीम का गठन किया गया. टीम ने ही डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया पूरी कर रिपोर्ट जिला अस्पताल प्रबंधन को सौंपी तब यह गुत्थी सुलझी.
गौरतलब हो कि 23 जनवरी को शबाना कुरैशी (पति अल्ताफ कुरैशी) और साधना सिंह ने दोपहर क्रमश: 1:25 बजे और 1:32 बजे अपने-अपने बेटों को जन्म दिया. अस्पताल में नवजात शिशुओं की पहचान के लिए जन्म के फौरन बाद उनके हाथ में मां के नाम का टैग पहनाया जाता है. जिससे किसी तरह की अदला-बदली न हो. इसी प्रक्रिया के तहत दोनों नवजातों की जन्म के बाद अपनी-अपनी माताओं के साथ तस्वीरें भी खींची गई. 8 दिन के बाद जब शबाना कुरैशी के परिवार ने ऑपरेशन के फौरन बाद ली गई तस्वीरों को देखा। तो उनके असली बच्चे के चेहरे पर तिल (काला निशान) नहीं था. जो बच्चा इस समय उनके पास है. उसके चेहरे पर तिल है. तब उन्हें बच्चा बदलने का शक हुआ और इसकी शिकायत जिला अस्पताल प्रबंधन से की.
अस्पताल प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए साधना सिंह और उनके परिवार को अस्पताल बुलाया. दोनों परिवारों और डॉक्टर के बीच चर्चा हुई. लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया. तब कलेक्टर ने डीएनए टेस्ट की परमिशन देते हुए टीम गठित की. रिपोर्ट आने के बाद बदले गए बच्चे अपने वास्तविक माता-पिता तक पहुंचे.
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