Supreme Court : ट्रांसजेंडर को महिला या पुरुष से शादी करने की छूट दी, ले सकते हैं बच्चा गोद

Supreme Court :  बहुप्रतीक्षित फैसले को सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि ट्रासजेंडर शादी कर सकते हैं और बच्चा भी गोद ले सकते हैं। समलैंगिक विवाह का

Supreme Court : ट्रांसजेंडर को महिला या पुरुष से शादी करने की छूट दी, ले सकते हैं बच्चा गोद

- समलैंगिक विवाह पर सुको का अहम फैसला

- कोर्ट कानून नहीं बना सकता : चंद्रचूड़

Supreme Court :  बहुप्रतीक्षित फैसले को सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि ट्रासजेंडर शादी कर सकते हैं और बच्चा भी गोद ले सकते हैं। समलैंगिक विवाह का फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मंगलवार सुबह को अपना फैसला सुनाया। बेंच ने एक तरफ जहां ट्रांसजेंडर को महिला या पुरुष से शादी करने की छूट दी, वहीं समलैंगिक और अविवाहित जोड़ों को बच्चा गोद लेने से रोकने वाले सीएआरए विनियमन को रद्द भी कर दिया।

संविधान पीठ का फैसला सुनाते चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह कोर्ट कानून नहीं बना सकता, सिर्फ उसकी व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है। उन्होंने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है। गौरतलब है कि सेम सेक्स मैरिज का समर्थन कर रहे याचिकाकर्ताओं ने इसे स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड करने की मांग की थी।

इस संबंध में कोर्ट ने केंद्र से अपना पक्ष रखने को कहा था और केंद्र सरकार ने इसे भारतीय समाज के खिलाफ बताया था। सुप्रीम कोर्ट में 21 याचिकाएं दाखिल की गईं थीं इनमें याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने समलैंगिकता को अपराध मानने वाली धारा 377 के एक पार्ट को रद्द कर दिया था। उसके बाद सुको ने अपना यह फैसला सुनाया है।

पांच जजों की बैंच ने की सुनवाई

मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों वाली संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रविंद्र भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे।मंगलवार को चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस भट्ट और जस्टिस नरसिम्हा ने फैसला सुनाया हैं।
फैसला सुना रही अदालत का माना है कि समलैंगिकों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि विषमलैंगिक जोड़ों को मिलने वाले भौतिक सुख व सेवाएँ और समलैंगिक जोड़ों को इससे वंचित करना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।

इसलिए एक ट्रांसजेंडर पुरुष किसी महिला से अथवा ट्रांसजेंडर महिला किसी पुरुष से शादी कर सकती है।चंद्रचूड़ ने कहा कि विशेष विवाह अधिनियम को सिर्फ इसलिए असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यह समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देता।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संसद या राज्य विधान सभाओं को हम विवाह की नई संस्था बनाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं।(एजेंसी)