टीका लगने के बाद एक और बच्चे की मौत, डेढ़ महीने के मासूम ने तोड़ा दम, मचा हड़कंप, स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप

Another child died after vaccination one and a half month old innocent person died created panic health department accused of negligence

टीका लगने के बाद एक और बच्चे की मौत, डेढ़ महीने के मासूम ने तोड़ा दम,  मचा हड़कंप, स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही : मरवाही के सेमरदर्री गांव में जीवन रक्षक कहे जाने वाला टीका लगने के बाद डेढ़ महीने की मासूम बच्ची की मौत हो गई. मंगलवार को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में पल्स पोलियों के साथ ओ.पी.वी, रोटा वायरस वैक्सीन,पेंटावेलेंट, आई.पी.वी, पी.सी.वी. टोटल पांच टीका लगाये गए. इसमें दो टीका पिलाया गए और तीन इंजेक्शन लगाया गए. इसके बाद नवजात शिशु  की तबीयत बिगड़ी और सांस लेने में तकलीफ हुई और 24 घंटे के अंदर मासूम की मौत हो गई. टीकाकरण के बाद मौत का प्रदेश में एक हफ्ते में तीसरा मामला सामने आया है. पहली दो मौतें बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड के पटैता में 31 अगस्त को हो चुकी है.
गर्भवती माता और जीरो से पांच साल के बच्चों के जीवन रक्षा के नाम पर राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है. लेकिन जब वही जीवन रक्षक टीकाकरण जानलेवा होने लगे तो टीकाकरण कार्यक्रम में सवाल उठना लाजिमी है.
गौरेला पेंड्रा मरवाही के दूरस्थ वनग्राम सेमरदर्री में आदिवासी परिवार की प्रमिलाबाई ने अपने डेढ़ महीने के शिशु को गांव के ही आंगनबाड़ी केंद्र में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत टीकाकरण करने लेकर गई थी. जहां उसे डेढ़ महीने के अंदर लगने वाले पांच तरह के टीके लगाए गए. जिसमें पल्स, पोलियो और रोटावायरस का टीका पिलाया गया. जबकि साथ ही साथ ओ.पी.पी., पेंटावेलेंट, आईपीवी, पीसीवी वैक्सीन के इन्जेक्शन लगाए गए.
इसके बाद मां बच्ची को लेकर घर चली गई. घर पहुंचते- पहुंचते शिशु की तबीयत बिगड़ने लगी और सांस फूलने लगी. इसके बाद मां बच्चे को गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई. जहां प्रारंभिक जांच के बाद बच्ची को जिला चिकित्सालय गौरेला पेंड्रा मरवाही रेफर किया गया. यहां उसकी कुछ घंटे बाद ही की मौत हो गई.
परिजनों का कहना है कि टीका लगवाने के पहले बच्चा स्वस्थ था और वैक्सीन के 24 घंटे बाद ही उनके बच्चे की मौत हो गई. परिवारजन टीकाकरण से ही बच्ची की मौत का कारण बता रहे हैं.
वहीं, टीकाकरण करने वाले कर्मचारी जिन्होंने नवजात को टीका लगाया था. उनका मानना है कि सामान्यत: टीकाकरण के बाद बच्चों को मामूली बुखार आता है. इसके लिए वह उन्हें पेरासिटामोल की गोली देते हैं. लेकिन शायद इन लोगों ने बुखार आने के बाद पेरासिटामोल की टेबलेट नहीं दी. साथ ही सांस फूलने की कुछ समस्या रही होगी. इसके बाद हमारे पास लाए थे. जिसे उन्होंने जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया. टीकाकरण से मौत होना नहीं है. यह कार्यक्रम लगातार चालू है. मौत क्यों हुई यह जांच का विषय है.
वहीं, मामले में जिला टीकाकरण अधिकारी का कहना है कि टीकाकरण से का कोई कनेक्शन नहीं है. शायद बच्चों को निमोनिया थी. मौत क्यों हुई परीक्षण के बाद ही बता पाएंगे. बिलासपुर संभाग में ही एक सप्ताह के अंदर  टीकाकरण के बाद से शुरु हुई. तीन मौतों के सिलसिले ने राष्ट्रीय कार्यक्रम टीकाकरण की विश्वसनीयता को लेकर बड़ा सवाल उठा दिया है. मौतों के बाद अब तक कोई ऐसी जांच रिपोर्ट नहीं आई. जिसमें मौत का कारण साफ हो.
31 अगस्त को बिलासपुर जिले के पटैता गांव में भी बीसीजी के टीके लगने से एक बच्चे की मौत हुई थी. जिस पर जांच चल रही है. लेकिन जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई और अब एक और मौत ने टीकाकरण की गुणवत्ता पर फिर सवाल खड़ा कर दिया है.
विभाग जाच की बात कह रहा है लेकिन जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों ने बिना शव परीक्षण किये शव परिजनों को सौंप दिया. जिसका अंतिम संस्कार गया है. और अब जांच के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति ही रह जाएगी.
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