17 अक्टूबर, यौमे सर सैय्यद के बाद गायब हुई अलीग बिरादरी, मिल्लत की तमाम तरह की पसमांदगी को मुड़ कर भी नहीं देखाः एम. डब्ल्यू. अंसारी

आज भारत का मुसलमान शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक और अब अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है। ऐसा कहना भी गलत है कि मुसलमान पढ़ते-लिखते नहीं हैं बल्कि पढ़ने-लिखने की नहीं दिया गया। परिणामस्वरूप, उन्हें रोजगार पाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

17 अक्टूबर, यौमे सर सैय्यद के बाद गायब हुई अलीग बिरादरी, मिल्लत की तमाम तरह की पसमांदगी को मुड़ कर भी नहीं देखाः एम. डब्ल्यू. अंसारी

एम. डब्ल्यू. अंसारी, अलीग (आईपीएस) पूर्व डी.जी

आज भारत का मुसलमान शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक और अब अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित है। ऐसा कहना भी गलत है कि मुसलमान पढ़ते-लिखते नहीं हैं बल्कि पढ़ने-लिखने की नहीं दिया गया। परिणामस्वरूप, उन्हें रोजगार पाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह भी सच है कि मुसलमान सबसे ज्यादा अशिक्षित हैं। यह एक कड़वा सच है, लेकिन फिर भी यह सच है! अगर हम बारीकी से देखेंगे तो कई बातें सामने आएंगी। देश के युवाओं को पढ़ने-लिखने की इजाजत नहीं है। एक हालिया रिपोर्ट में संक्षेप में बताया गया है कि भारत में 42.7ः मुस्लिम निरक्षर हैं और पचास प्रतिशत से अधिक मुस्लिम बच्चे माध्यमिक विद्यालय के बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं।

कौम के दर्दमन्द हजरात कौम की चिंता में कई अच्छे काम करते हैं, कोई खाने-पीने की व्यवस्था करता है, तो कभी अन्य सामान बांटता है। कुछ स्थानों पर सामुदायिक विवाह भी आयोजित किये जाते हैं। इसका नुकसान यह हुआ कि एक तरफ हुनरमंद बनने पर ध्यान नहीं दिया गया, जबकि ये सब चीजें भी करनी हैं और बहुत जरूरी भी हैं, लेकिन होना यह चाहिए कि युवा किसी पर निर्भर न रहें। उन्हें आत्मनिर्भर बनना चाहिए और दूसरों को रोजगार देना चाहिए। दूसरे, इन चीजों पर जितना खर्च किया गया, उसका एक चैथाई भी कौम को कुशल बनाने पर खर्च नहीं किया गया। जब हम इसकी तह तक जाएंगे तो हमें यह जरूर पता चलेगा कि देश के पिछड़ेपन में कहीं न कहीं पढ़े-लिखे लोग भी शामिल हैं। अगर ष्किवा किया जाए  अलीगिस बिरादरी से ते गलत नहीं होंगा। क्योंकि ये लोग शिक्षा के साथ-साथ बड़े-बड़े पदों पर हैं। इसलिए उन्हें पहले कदम उठाना चाहिए।

लेकिन सवाल ये है कि इन सबके बावजूद अलीगस समुदाय ने शिक्षा के क्षेत्र में क्या काम किया? और एएमयू ओल्ड बॉयज कुछ स्थानों पर काम कर रहा है लेकिन अपेक्षित परिणाम उतने सकारात्मक नहीं हैं जितने कि अलीगस से उम्मीद थी। ये सर सैय्यद के शैक्षणिक मिशन के वारिस हैं। हक तो यह था कि यह समुदाय बड़े पैमाने पर हर प्रांत और हर क्षेत्र में जाता था और अपने दाता सर सैय्यद अहमद खान के नाम पर स्कूल स्थापित करता। और सर सैय्यद के नाम पर नहीं तो अपने दिवंगत के नाम पर ही शिक्षण संस्थान स्थापित करते, लेकिन अफसोस की बात है कि ये पढ़े-लिखे लोग भी अन्य लोगों को शिक्षा की ओर आकर्षित नहीं कर पाए हैं और न ही प्रयास कर रहे हैं।

दूसरी बड़ी चिंता यह है जिसमें हम सभी जिम्मेदार हैं वह ये कि हर जगह मुफ्त भोजन के बोर्ड हैं, कहीं रोटी बैंक है, किसी ने केवल पेशेवर भिखारियों को दान करने की कसम खाई है। व्यवस्था परिवर्तन की बात कोई नहीं करता। क्यों न ऐसा होता  मुफ्त कंप्यूटर, मुफ्त वेल्डिंग, मुफ्त प्लंबिंग, मुफ्त मैकेनिक, मुफ्त सिलाई, मुफ्त अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू सिखें। जो उस क्षेत्र में विशेषज्ञ है और उस क्षेत्र में रुचि रखता है उसे अधिक विशेषज्ञ और पेशेवर बनाया जाएगा। लेकिन ऐसा कहीं देखने को नहीं मिला, सच तो ये है कि हमने इस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया और इसका सबसे बड़ा नुकसान हमारे बीच के सबसे निचले वर्ग को हो रहा है और उनकी हालत खराब होती जा रही है।

इसीलिए इन दिनों यह मांग की जा रही है कि अलिगस को अब होष के नाखून लेना चाहिए क्योंकि यदि अलीगढ़ ओल्ड बॉयज़ एसोसिएशन सक्रिय होता तो देश में सर सैय्यद के नाम पर शिक्षण संस्थान, स्कूल-कॉलेज आदि स्थापित हो गए होते। देश के कोने-कोने में कॉलेज, मदरसे इस्लामिया फैले होते। तकनीकी एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के संस्थान स्थापित किये जाते। आर्थिक संकट को दूर करने के लिए सूक्ष्म-स्तरीय वित्तीय संस्थानों की स्थापना की गई होती। बड़े-बड़े मीडिया हाउस स्थापित हो गए होते और हमारी छवि खराब करने की कोशिश नहीं की गई होती। शैक्षिक ट्रस्ट की स्थापना की जाती ताकि कोई भी मुस्लिम छात्र आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित न रहे। मानवीय सेवाओं के लिए अस्पतालों की स्थापना की गई होती। ये सभी कार्य अलीगस आसानी से कर सकते हैं क्योंकि उनका नेटवर्क बहुत बड़ा है और सभी प्रतिभाशाली लोग हैं इसलिए देश की शिक्षा की चिंता करना समय की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण जरूरत है जसे अलीगस बिरादरी अपनी ज्ञान शक्ति, क्षमता और नेटवर्किंग के माध्यम से कर सकती है।

जब देश के युवा कुशल और शिक्षित होंगे तो देश निश्चित रूप से विकसित होगा। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, हर कोई नियोक्ता होगा। बेरोजगारी दूर होगी, देश की बागडोर पढ़े-लिखे लोगों के हाथ में होगी, देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। भ्रष्टाचार खत्म होगा और फिर भारत का झंडा पूरी दुनिया में लहराएगा।