सुप्रीम कोर्ट ने बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले को किया निरस्त, हसदेव अरण्य में पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को किया था खारिज

Supreme Court canceled the decision of Bilaspur High Court rejected the petition banning tree cutting in Hasdev Aranya

सुप्रीम कोर्ट ने बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले को किया निरस्त, हसदेव अरण्य में पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को किया था खारिज

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने हसदेव अरण्य संघर्ष समिति की पीईकेबी कोल ब्लॉक में पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को निरस्त करने के छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के 2 मई 2024 के आदेश को रद्द कर दिया है. यह फैसला पर्यावरण और वन संरक्षण के मुद्दों से जुड़े लोगों के लिए बहुत अहम है. संघर्ष समिति ने लगातार पेड़ों की कटाई का विरोध किया है, उनका कहना है कि यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है और आदिवासी समुदाय की आजीविका से जुड़ा हुआ है.
एक महीने के भीतर नया फैसला सुनाए हाईकोर्ट: SC
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह पूर्व में दायर याचिका पर फिर से सुनवाई करे और एक महीने के भीतर नया फैसला सुनाए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि फैसला गुण-दोष के आधार पर किया जाए. ध्यान देने योग्य बात यह है कि इससे पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तकनीकी कारणों से पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को दो बार खारिज किया था.
हसदेव अरण्य संघर्ष समिति ने याचिका में क्या कहा है?
बता दें कि हसदेव अरण्य के पीईकेबी (परसा ईस्ट केते बासन) कोल ब्लाक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित किया गया है. जिसकी खदान संचालन की जिम्मेदारी अदानी कंपनी के पास है. दूसरे चरण में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के लिए हसदेव अरण्य संघर्ष समिति ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
इस याचिका में कहा गया कि फेस-टू क्षेत्र का जंगल, जो घाटबर्रा गांव के अलावा अन्य गांवों के लिए सामुदायिक वन अधिकार क्षेत्र में आता है. उसे गलत तरीके से रद्द कर दिया गया है. समिति ने इसे सामुदायिक वन अधिकारों के उल्लंघन के रुप में पेश किया है.
2022 में जब फेस 2 क्षेत्र में पेड़ों की कटाई शुरु हुई थी. तब हसदेव अरण्य संघर्ष समिति ने कटाई पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि समिति ने उन वन अनुमति आदेशों को चुनौती नहीं दी है जो 2 फरवरी 2022 और 25 मार्च 2022 को पारित किए गए थे.
समिति ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी. 16 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को इस आधार पर निपटाया कि संशोधन याचिका के माध्यम से वन अनुमति के आदेशों को चुनौती देकर, समिति फिर से पेड़ कटाई पर रोक लगाने की याचिका छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दायर कर सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वह संशोधन याचिका और पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका पर संज्ञान लेकर फैसला दे.
हाईकोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दी थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, संघर्ष समिति की याचिका पर नवंबर 2023 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में संशोधन याचिका और पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका पर बहस हुई.
हाई कोर्ट ने संशोधन याचिका को स्वीकार कर लिया, लेकिन पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि ऐसी याचिका पहले भी एक बार हाईकोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है. इसका मतलब है कि दूसरी बार भी यह याचिका बिना गुण-दोष के आधार पर निरस्त कर दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दी है यह छूट
सुप्रीम कोर्ट ने सभी तर्कों को सुनने के बाद आदेश जारी किया है कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका की एक महीने के भीतर सुनवाई करनी चाहिए और निर्णय गुण-दोष के आधार पर लेना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह छूट दी है कि अगर निर्धारित एक महीने के भीतर सुनवाई पूरी नहीं होती है. तो वे फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं. इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्र उदय सिंह ने बहस की और उनके साथ अधिवक्ता प्योली भी मौजूद थे.
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