आश्रम में इलाज की कमी से 7 साल के मासूम छात्र की मौत, परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप, प्रशासन में मचा हड़कंप, अधीक्षक बीरसाय सस्पेंड
A 7-year-old innocent student died due to lack of treatment in the ashram, relatives alleged negligence, there was a stir in the administration, Superintendent Birsai suspended

बलरामपुर : बलरामपुर जिले में राजपुर विकासखंड के पहाड़ी कोरवा आश्रम लाऊ में पढ़ने वाले पहली कक्षा के छात्र अजीत सिंह उम्र 7 साल की इलाज के कमी से मौत हो गई है. अजीत शनिवार से बीमार था और उसे पेचिस की शिकायत थी. हालत बिगड़ने पर रविवार को उसे इलाज के लिए अंबिकापुर अस्पताल ले जाया जा रहा था. लेकिन रास्ते में ही एम्बुलेंस में उसने दम तोड़ दिया.
आश्रम की लापरवाही के चलते छात्र की मौत के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया. परिजनों ने हॉस्टल अधीक्षक और प्रबंधन दोनों पर लापरवाही का आरोप लगाया. जिसके बाद जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरु की.
इस मामले में गंभीर लापरवाही पाए जाने पर जिला शिक्षा अधिकारी ने आश्रम अधीक्षक बीरसाय मरावी को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी जांच शुरु कर दी है. अधिकारियों की एक टीम यह पता लगाने में जुटी है कि इलाज में कोई कमी रही या इसके पीछे कोई अन्य कारण था.
जिला शिक्षा अधिकारी डीएन मिश्रा ने बताया कि मामले में विकासखंड राजपुर के पहाड़ी कोरवा आश्रम लाऊ के छात्र अजीत कुमार की मौत हुई है. इसमें प्रथम दृष्टया वहां के प्रभारी अधीक्षक बीरसाय मरावी की लापरवाही प्रमाणित पाई गई है. उक्त लापरवाही प्रमाणित किए जाने की वजह से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है.
परिजनों के मुताबिक राजपुर विकास खंड अंतर्गत ग्राम लाऊ में संचालित पहाड़ी कोरवा बालक आश्रम में पढ़ने वाले पहली कक्षा का छात्र सेवारी खटंग पारा निवासी अजित कुमार पिता नोहर साय का शनिवार को अचानक तबीयत खराब हुई थी. ऐसे में हॉस्टल अधीक्षक ने उसे इलाज कराने की बजाय घर भेज दिया. मृतक की 15 साल की बहन उसे लेने के लिए हॉस्टल आई थी और उसने गोद में लेकर करीब 5 किलोमीटर पैदल लेकर घर पहुंची. घर पहुँचने के बाद बच्चे की हालत और खराब हो गई. घर वाले बेहद गरीब हैं. लेकिन उन्होंने किसी तरह पैसे की व्यवस्था की और गाड़ी किराए में लेकर बच्चे को राजपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे. जहां उसकी नाजुक हालत होने पर उसे अंबिकापुर लेकर जा रहे थे. तभी रास्ते में बच्चे ने दम तोड़ दिया.
गांव के सरपंच ने कहा कि इस पूरे मामले में हॉस्टल अधीक्षक एवं कर्मचारियों की गलती है क्योंकि अगर बच्चे को सही समय पर इलाज मिल जाती तो उसकी जान बच सकती थी. शासन प्रशासन एक तरफ पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों को आगे लाने के लिए काफी प्रयास कर रही है. लेकिन धरातल पर सिर्फ कागजों में ही दिखावा किया जा रहा है.
इस मामले में राजपुर एसडीएम राजीव जेम्स कुजूर ने कहा कि पहली की छात्र अजीत का मौत होने की जानकारी मिली है. सहायक आयुक्त, बीएमओ और पुलिस टीम मृतक के यहां गए थे. शनिवार रात से तबियत खराब थी. अधीक्षक के द्वारा उसे घर भेज दिया था. राजपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार बाद हालत खराब होने पर उसे अंबिकापुर के लिए रेफर किया गया था. इस मामले में अधीक्षक की लापरवाही देखी जा रही है. अधीक्षक को तत्काल पास के डॉक्टर से इलाज करना था लेकिन अधीक्षक के द्वारा नहीं कराया गया.
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