जरुरतमंदों और गरीबों के मसीहा डॉ. मेमन की छठी पुण्यतिथि पर शहरवासियों ने तिरंगा चौक पर की अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित

On the sixth death anniversary of Dr Memon the messiah of the needy and the poor the city residents paid their heartfelt tribute at Tiranga Chowk

जरुरतमंदों और गरीबों के मसीहा डॉ. मेमन की छठी पुण्यतिथि पर शहरवासियों ने तिरंगा चौक पर की अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित

गरियाबंद : गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले डॉ. अब्दुल रज़्ज़ाक मेमन की छठी पुण्यतिथि पर नगर के तिरंगा चौक पर लोगों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर और कैंडल जलाकर उन्हें याद किया. गुरुवार की शाम तिरंगा चौक में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ.
डॉ. मेमन एक ऐसे शक्स जो किसी तारीफ के मोहताज नहीं रहे. गरियाबंद जिले की पहचान डॉ. मेमन से हुआ करती थी. गरियाबंद से बाहर जब कोई अपने शहर का नाम बतलाता था तो लोग कहते थे. अच्छा आप उसी गरियाबंद से है ना जहां डॉ. मेमन रहते हैं. डॉ मेमन का ओहदा ऐसा था. लोग अपने दुख में तो याद करते ही पर अपने सुख में भी उन्हें याद करने से नहीं भूलते थे. और डॉ.साहब भी हर उस शक्स के सुख और दुख में एक परिवार की तरह शामिल हुआ करते थे. ना जाने कितने ज़िंदगी डॉ. साहब ने बचाई होगी. ना जाने कितने लोगों को मौत के मुंह से वापस लाया होगा. उनकी ना उनकी भरपाई होगी. और ना ही उनकी कमी कभी पूरी होगी.
गरीबों के मसीहा डॉ. मेमन -राजेश साहू
डॉ. मेमन हर तपके के लोगों के पसंदीदा रहे. अमीर-गरीब गांव शहर सभी के जुबान पर सिर्फ डॉ. साहब का नाम हुआ करता था. गरीबो ने अपना देवता स्वरुप इंसान खो दिया डॉ. साहब की खासियत थी कि आपके पास पैसे हो ना हो आपका इलाज जरुर होगा. आपके पास पैसे हो ना हो. आपको दवा जरुर मिलेगी. ये एक ऐसे वजह थी जिसके कारण जरुरतमंद उन्हें अपना भगवान भी कहा करते थे. आधी रात को किसी की तबियत खराब हो और डॉ. साहब ना पहुँचे. ऐसा कभी हुआ ही नहीं.
19-09-2018 डॉ साहब की आख़िरी विदाई वो मंजर देख जब पूरा शहर रो पड़ा था- युगल पांडे
बताते चले 19-09-2018 ये वो काला दिन था. जब गरीबों के मसीहा डॉ. मेमन ने अपनी आखरी सांस ली थी. आज भी उस मंजर को याद कर लोग अपने आंसुओं को रोक नहीं पाते हैं. शायद ही गरियाबंद के इतिहास में वो दिन कभी आएगा. जब हजारों की भीड़ ने उनकी विदाई में डॉ. मेमन अमर रहे के नारे लगाये थे. पूरे रास्ते पर गुलाब की पंखुड़ियाँ बिछाई गई थी. क्या नगर क्या चौक चौराहा सब सुने पड़ गये थे. बच्चे बूढ़े नौजवान कोई भी शक्स अपने आंसुओं पर काबू ना कर पाया था. डॉ. सहाब की आख़री विदाई में शामिल होने पूरे जिले से जन सैलाब उमड़ पड़ा था.
डॉ. मेमन वो शख्सियत हैं जिनके विचार आज भी जिले के युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं- साबिर भाई
श्रद्धांजलि अर्पित करते वक़्त आज फिर से वही मंजर देखने मिला जब उनके मित्र साबिर भाई अपने डॉ. साहब को श्रद्धांजलि देते वक़्त अपने आंसुओं पर काबू नहीं कर पाए सबीर भाई ने कहा डॉ. साहब हम सबको हमेशा के लिये अकेला छोड कर चले गए लेकिन उनकी यादें और उनकी कही बातें हमेशा हमारे साथ हैं. उन्होंने अपने पेशे को सही मुकाम दिया था. सेवा भाव सिर्फ सेवा. मैंने उन्हें जरुरतमंद लोगो के इलाज के के बाद दवा खरीदने के लिए पैसे देते हुए भी देखा है. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी जनता की सेवा में लगा दी थी. डॉ. साहब ने सादा जीवन जीना और जरुरतमंद गरीबो के प्रति सोचना सिखाया.
श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में पार्षद प्रतिनिधि समाज सेवक छगन यादव ने कहा डॉ. साहब गरियाबंद वासियो के दिलों में बसे हैं. उन्हें बुलाया नहीं जा सकता. ईश्वर उन्हें स्वर्ग( जन्नत )में सर्वोत्तम स्थान प्रदान करें.
इस मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता मुर्तुजा खान, वरिष्ठ अधिवक्ता बार काउंसिल के अध्यक्ष नरेंद्र देवांगन, नगर के वरिष्ठ अधिवक्ता राम कुमार वर्मा, वरिष्ठ व्यवसायी युगल पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार फारुख मेमन, राजेश साहू, सन्नी मेमन, जुनेद खान मुकेश पांडेय, छगन यादव, नादिर खान, अशोक जगत आदि कई लोग मौजूद थे.
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