वक़्त है बदलाव का, एक बार फिर कांग्रेस को मौक़ा देना चाहती है जनताः एम डब्ल्यू अंसारी

जब किसी जुल्म की इंतेहा हो जाती है और आम आदमी जुल्म सहते-सहते थक जाता है तो वह जुल्म करने वाले के खिलाफ खड़ा हो जाता है। चाहे वह हरिजन बहु-बेटियों के साथ बलात्कार की घटना हो, या किसी गरीब मजदूर पर पेशाब करने की घटना हो, बालिका पहलवानों के साथ हुआ अन्याय हो या जीवन भर की मेहनत से बनाये गये घर पर बुलडोजर चलना हो।

वक़्त है बदलाव का, एक बार फिर कांग्रेस को मौक़ा देना चाहती है जनताः एम डब्ल्यू अंसारी

जब किसी जुल्म की इंतेहा हो जाती है और आम आदमी जुल्म सहते-सहते थक जाता है तो वह जुल्म करने वाले के खिलाफ खड़ा हो जाता है। चाहे वह हरिजन बहु-बेटियों के साथ बलात्कार की घटना हो, या किसी गरीब मजदूर पर पेशाब करने की घटना हो, बालिका पहलवानों के साथ हुआ अन्याय हो या जीवन भर की मेहनत से बनाये गये घर पर बुलडोजर चलना हो। बिलकीस बानो जैसी मज़लूम को न्याय न मिलना हो, चाहे वो किसानों की एमएसपी का मामला हो या सरकारी कर्मचारियों के साथ अन्याय का मामला हो, आम आदमी भूला नहीं है, उसे सब याद है और ये मौका है सबक सिखाने का, अपने साथ हुए अन्याय का बदला लेने का, ये वक्त है कांग्रेस और सभी सेक्युलर प्रत्याशियों को समर्थन देने का और सभी मनुवादियों- पुंजीवादोयों को सबक सिखाने का ।

गौरतलब है कि पिछले चुनाव में भी आम जनता ने बीजेपी को नकार कर कांग्रेस को चुना था। और उन्होंने इस उम्मीद पर चुनाव किया कि अब शांति और न्याय होगा। सभी को उनका अधिकार मिलेगा। प्रत्येक धर्म को अपने धर्म का पालन करने की पूर्ण स्वतंत्रता होगी। प्रदेश में कानून संविधान के अनुसार चलेगा, लेकिन दुर्भाग्य से भाजपा ने अपनी मनोदशा, नीति और अपना स्वभाव दिखाते हुए छल, कपट और धन विधेयक से तख्ता पलट कर दिया है और इन बचे हुए सालों में खूब जुल्म किया। लेकिन जनता को सब कुछ अच्छे से याद है और इस चुनाव में वो जरूर बता देगी।

यदि हम इस बात पर विचार करें कि पिछले नौ-दस वर्षों में हमारे देश भारत का माहौल किस प्रकार बिगड़ गया है, तो हम निश्चित रूप से इस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे कि इसमें सबसे बड़ा हाथ सत्ताधारी दल का रहा है। जिसमें ज़ालिमों को संरक्षण दिया गया है, मज़लूमो के साथ अन्याय किया गया है। जो अमीर थे उन्हें और अमीर बनाया गया है तथा जो गरीब थे वे और गरीब हो गए हैं। युवाओं के कल्याण के लिए कोई काम नहीं किया गया। आज बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हैं, नौकरी की कोई व्यवस्था नहीं है। साथ ही सेवा पूरी कर चुके कर्मचारियों की पेंशन भी बंद कर दी गई है। सरकार पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की बात नहीं कर रही है। बल्कि इस सरकार की पूरी क्षमता जगहों, सड़कों और शहरों के नाम बदलने में ही खर्च हो गई। जरूरत इस बात की थी कि नई सड़कें बनाई जातीं, नई फैक्ट्रियां लगाई जातीं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते और अगर उन जगहों के नाम महान हस्तियों के नाम पर रखे जाते , तो देश की जनता उनके काम की सराहना भी करती। 

सवाल उठता है कि क्या बीजेपी आम जनता को मूर्ख और बेवकूफ मानती है? चुनाव के आखिरी साल में विकास कार्य करके, गरीब बहनों को कुछ रुपये देकर, कुछ युवाओं को रोज़गार का वादा करके, सिर्फ चुनाव जीतने के लिए किसानों का एमएसपी बढ़ाकर, जनता पिछले वर्षों के अत्याचारों को भूल जाएगी। लोग यह भी सवाल कर रहे हैं कि चुनाव से ठीक पहले आपको जनता की याद आई है, अब आप ये सब देकर चुनाव जीतना चाहते हैं. और जीतने के बाद फिर वही स्थिति होने वाली है।

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में लोग कांग्रेस को देखना चाहते हैं। हर तरफ से कांग्रेस का शोर है. पूरी उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस सरकार बनाएगी। लेकिन इसके बावजूद जनता कांग्रेस से ये सवाल भी पूछ रही है कि जिस उम्मीद के साथ आम आदमी कांग्रेस से जुड़ रहा है, क्या कांग्रेस इस उम्मीद पर खरी उतरेगी? जनता पूछ रही है कि कांग्रेस का भविष्य का एजेंडा क्या है? युवाओं के रोजगार के लिए, किसानों के लिए, अल्पसंख्यकों के लिए, महिला सुरक्षा के लिए? उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए और घोषणा करनी चाहिए कि कांग्रेस की सरकार बनते ही ये सब लागू किया जाएगा।
आज एससी/एसटी, ओबीसी और सभी अल्पसंख्यक समुदायों में काफी जागरूकता के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता भी है। और इस बार लाख कोशिशों के बावजूद वोट नहीं बंटेंगे, जिस तरह से माहौल कांग्रेस के अधीन हो गया है उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस भारी बहुमत से जीतेगी ताकि संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए आया राम और गया राम का खेल न खेला जा सके।