भिलाई में मॉक ड्रिल, अचानक छाया अंधेरा, 15 मिनट के लिए थम गया शहर, बजने लगे युद्ध के सायरन, ऑपरेशन सिंदूर के बाद चर्चा में कर्नल सोफिया कुरैशी
Mock drill in Bhilai, darkness fell suddenly, city came to a standstill for 15 minutes, war sirens started ringing, Colonel Sofia Qureshi in news after Operation Sindoor

दुर्ग/भिलाई : भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान और पाक के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. सेना ने 9 जगहों पर स्ट्राइक कर आतंकियों के होश पाख्ता कर दिए. वहीं युद्ध जैसी हालात या फिर पाकिस्तान के किसी भी हमले का जवाब देने के लिए सेना पूरी तरह से तैयार है. इसी बीच पब्लिक को भी इन हालातों के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है. इस बारे में देश के 244 जिलों सहित दुर्ग जिले में मॉक ड्रिल और ब्लैक आउट हुआ. इस दौरान दुश्मन देश के हमलों के समय लोगों को कैसे अपना बचाव करना है. इस पूरी प्रक्रिया से लोगों को अवगत कराया गया.
दुर्ग जिले में आयोजित सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल के दौरान कई अहम् बातों पर ध्यान केंद्रित किया गया था. इस रिहर्सल का असल मकसद नागरिकों को इमर्जेसी के हालात से निपटने के लिए तैयार करना और सुरक्षात्मक प्रोटोकॉल्स की कार्यकुशलता का परीक्षण करना था.
भिलाई स्टील प्लांट बुधवार शाम को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की गई. इस दौरान नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ, NDRF), एसडीआरएफ (SDRF), सीआईएसएफ (CISF) एवं बीएसपी (भिलाई स्टी प्लांट) ने संयुक्त रुप से इमर्जेसी हालात से निपटने का रिहर्सल किया. सभी ने संयुक्त रुप से स्टील प्लांच के तीन स्थानों मानव संसाधन विकास विभाग, रेल एवं स्ट्रक्चरल मिल और ब्लास्ट फर्नेस-7 के सामने वेलफेयर बिल्डिंग में मॉक ड्रिल का आयोजन किया. मॉक ड्रिल के जरिए इमर्जेसी हालात से निपटने जैसे, युद्ध या हवाई हमले के दौरान बचाव कार्य से लेकर या ऐसी किसी भी हालात पर काबू पाने के लिए प्लान के साथ रिहर्सल किया गया.
इमर्जेसी हालात से निपटने के लिए नागरिकों को तैयार करने और प्रशासनिक व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के मकसद से यह मॉक ड्रिल की गई. आपदा प्रबंधन के रिहर्सल शुरु होते हुई इमर्जेसी हालात और लोगों के घायल होने की जानकारी मिलते ही खतरे की घंटी बजी. फिर भिलाई स्टील प्लांट की एजेंसिंया एक्टिव हुई और एनडीआरएफ को भी खबर दी गई.
मॉक ड्रिल में फायर ब्रिगेड, सेफ्टी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, ऊर्जा प्रबंधन विभाग, सीआईएसएफ, ऑक्यूपेशनल हेल्थ सर्विसेस विभाग, सिविल डिफेन्स और विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई.
एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड ने मिलकर अंदर फंसे घायलों को बाहर निकाला और प्राथमिक उपचार देकर एंबुलेंस से फौरन अस्पताल पहुंचाया. इस दौरान कई तरह की कार्यवाही को प्रोटोकॉल के मुताबिक अंजाम दिया गया. सभी गतिविधियों की मॉनिटरिंग की गई. साथ ही खामियों को नोट कर उन पर ध्यान दिया गया.
इसके अलावा पुलिस और जिला प्रशासन ने सेक्टर-10 स्थित रेल चौक और सूर्या मॉल में भी मॉक ड्रिल और ब्लैक आउट की रिहर्सल की. ‘रेड अलर्ट’ सायरन बजने के साथ ही मॉक ड्रिल रिहर्सल शुरु हुआ. और ‘ऑल क्लियर’ सायरन बजने के साथ खत्म किया गया. मॉकड्रिल के दौरान नागरिकों को अपने घरों में कोनों में खड़े होने या जमीन पर लेटने और लेटते समय अपने दांतों के बीच कपड़े या रुमाल दबाकर रखने और दोनों कानों को हाथ से ढककर रखने की अपील की गई थी.
शाम 7.30 बजे से 7.45 बजे तक ब्लैकआउट, ये ब्लैकआउट सिर्फ भिलाई सेक्टर और प्लांट एरिया में हुआ. सायरन बजते के साथ मॉकड्रिल का दूसरा फेस शुरु हुआ. इस दौरान इमरजेंसी हालात से निपटने के लिए मॉक ड्रिल किया गया. लोगों को भी जागरुक किया गया. लोगों, कर्मचारियों, स्टूडेंट्स को इमरजेंसी हालात में बचाव और लोगों को निकालने के तरीके समझाए गए.
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद चर्चा में कर्नल सोफिया कुरैशी
भारत की बहादुर बेटियां आज सिर्फ बंदूक नहीं थाम रहीं. बल्कि वैश्विक मंचों पर देश की आवाज भी बुलंद कर रही हैं. हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा पाकिस्तान में छिपे आतंकियों के नौ ठिकानों को मिसाइल से तबाह करने की कार्रवाई के बाद, प्रेस ब्रीफिंग में जो नजारा सामने आया. वह भारतीय सेनाओं में महिलाओं की दमदार भागीदारी का प्रतीक बन गया.
इस अहम संवाद के लिए थल सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह को चुना गया. जिनके साथ विदेश सचिव विक्रम मिस्री भी मौजूद थे.
रात 1.05 से 1.30 के बीच चला मिशन
भारत ने यह सैन्य कार्रवाई पाकिस्तान में छिपे आतंकियों के खिलाफ की. जो हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार माने जा रहे थे. यह हमला भारतीय समयानुसार रात 1.05 से 1.30 बजे के बीच किया गया. ऑपरेशन की कामयाबी के फौरन बाद मीडिया को इस मिशन की जानकारी देने के लिए भारतीय सेना की महिला अधिकारी आगे आईं. जिसमें सबसे प्रमुख नाम कर्नल सोफिया कुरैशी का रहा.
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी वर्तमान में 35 साल की हैं, मूल रुप से गुजरात से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. जिससे उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि और सैन्य प्रशिक्षण का बेहतरीन समन्वय झलकता है. उनके पति, मेजर ताजुद्दीन कुरैशी भी सेना में कार्यरत हैं और मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री से जुड़े हैं.
साल 1999 में मिला कमीशन
सोफिया कुरैशी को यह गौरव मिला है कि वे 'एक्सरसाइज फोर्स 18' जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास की अगुवाई करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं. इसके अलावा, वर्ष 2006 में उन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सक्रिय भागीदारी निभाई. उल्लेखनीय है कि उन्होंने महज 17 साल की उम्र में वर्ष 1999 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए भारतीय सेना की सेवा में प्रवेश किया था.
विश्व मंच पर भारत की प्रतिनिधि बनीं सोफिया
मार्च 2016 में लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने भारत की तरफ से 40 सदस्यीय सैन्य दल की कमान संभाली थी. यह दल 'एक्सरसाइज फोर्स 18' में शामिल हुआ था. जो अब तक का भारत में आयोजित सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास माना जाता है. यह अभ्यास पुणे में हुआ था. जिसमें अमेरिका, चीन, रुस, जापान और दक्षिण कोरिया समेत कुल 18 आसियान प्लस देशों ने भाग लिया था.
इस बहुराष्ट्रीय सैन्य ड्रिल में लेफ्टिनेंट कर्नल कुरैशी की भूमिका बेहद अहम रही. उन्होंने सैनिकों को शांति अभियानों और मानवीय सहायता से जुड़े अभियानों के तहत बारुदी सुरंग हटाने जैसी जटिल प्रक्रियाओं की विशेष ट्रेनिंग दी.
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