पत्नी की सहमति के बिना अननेचुरल Sex जुर्म नहीं, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, आरोपी पति को जेल से रिहा करने का आदेश, अदालत ने बताई वजह
Unnatural sex without wife's consent is not a crime, High Court ruled, ordered release of accused husband from jail, court gave reason

बिलासपुर : पत्नी की सहमति के बिना उनके साथ अननेचुरल यौन संबध बनाना जुर्म नहीं है. हाईकोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि पति पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत बलात्कार या धारा 377 के तहत अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. भले ही वह अपनी वयस्क पत्नी की सहमति के बिना उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता हो.
न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास की एकल पीठ ने ऐसे मामलों में पत्नी की सहमति को कानूनी रुप से महत्वहीन बताते हुए कहा कि अगर पत्नी 15 साल से कम उम्र की नहीं है तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ किए गए किसी भी यौन संबंध या यौन कृत्य को इन हालात में बलात्कार नहीं कहा जा सकता है. इसलिए अपीलकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत जुर्म नहीं बनता है.
दरअसल मृतक पीड़िता का पति 11 दिसंबर 2017 की रात को कथित तौर पर अपनी पत्नी की इच्छा के खिलाफ उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाया. इसके बाद तबियत बिगड़ने पर उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की गई और अपीलकर्ता के खिलाफ धारा 377 आईपीसी के तहत जुर्म दर्ज की गई.
पीड़िता का मौत के पहले बयान एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने दर्ज किया. जिसमें उसने कहा कि वह अपने पति द्वारा जबरदस्ती किए गए यौन संबंध की वजह से बीमार पड़ गई. उसी दिन उसकी मौत हो गई.
सबूतों का मूल्यांकन करने के बाद ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ता को आईपीसी की धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध), 376 (बलात्कार के लिए सजा) और 304 (हत्या के लिए दोषी न होने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए सजा) के तहत दोषी ठहराया. उन्हें डिफॉल्ट शर्तों के साथ 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई. इस फैसले के खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय के सामने आपराधिक अपील दायर की.
इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि धारा 375, 376 और 377 आईपीसी के अवलोकन से यह बिल्कुल साफ़ है कि धारा 375 आईपीसी की संशोधित परिभाषा के मद्देनजर पति और पत्नी के बीच धारा 377 आईपीसी के तहत अपराध का कोई स्थान नहीं है. इस तरह बलात्कार नहीं किया जा सकता है. धारा 375 आईपीसी के अपवाद 2 पर जोर देते हुए अदालत ने फैसला सुनाया कि एक पुरुष और उसकी पत्नी के बीच यौन संबंध या यौन क्रियाएं अगर पत्नी 15 साल से ज्यादा उम्र की है तो बलात्कार नहीं माना जाता है. नतीजतन भले ही एक पति अपनी वयस्क पत्नी के साथ धारा 377 आईपीसी के तहत परिभाषित अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता है. यह जुर्म नहीं माना जाता है.
अदालत ने धारा 304 आईपीसी के तहत अपीलकर्ता की दोषसिद्धि के संबंध में इसे “विकृत” माना और टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, आईपीसी की धारा 304 के तहत अपराध मामले के वर्तमान तथ्यों से कैसे जुड़ा है और अभियोजन पक्ष द्वारा कैसे साबित किया गया है. फिर भी इसने अपीलकर्ता को धारा 304 आईपीसी के तहत दोषी ठहराया है. जो विकृति और स्पष्ट अवैधता के अलावा और कुछ नहीं है, जिस पर इस अदालत द्वारा हस्तक्षेप किया जाना चाहिए.” कोर्ट ने अपीलकर्ता को सभी आरोपों से बरी करते हए उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया.
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